Shukravaar Upay: शुक्रवार के दिन जरुर करें श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ, मां लक्ष्मी भरेंगी भंडार
Shukravaar Upay: शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस दिन श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना बेहद लाभकारी होता है. आइये जानतें हैं श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ.
Shri Laxmi Suktam: शुक्रवार के दिन लक्ष्मी सूक्त पाठ करने से आपकी धन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती है. शुक्रवार के दिन इस पाठ को करना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा आप और आपके परिवार पर बनी रहती है. आइये जानते हैं श्री लक्ष्मी सूक्त पाठ.
श्री लक्ष्मी सूक्त पाठ (Shri Laxmi Suktam)
पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥
पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे।
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥
पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्।
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥
धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु।
धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥
वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्॥
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्।
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥
महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्।
चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते।
धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम् सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥
श्री लक्ष्मी सूक्त के पाठ का अर्थ (Shri Laxmi Suktam Paath Meaning)
हे लक्ष्मी देवी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल-दल के समान नेत्रों वाली, कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं. सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं. आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं. हे देवी! आपके चरण-कमल सदैव मेरे हृदय में स्थित हों..
हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख, ऊरु भाग, नेत्र आदि कमल के समान हैं. आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है. हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूँ, आप मुझ पर कृपा करें.
हे देवी! अश्व, गौ, धन आदि देने में आप समर्थ हैं. आप मुझे धन प्रदान करें. हे माता! मेरी सभी कामनाओं को आप पूर्ण करें.
हे देवी! आप सृष्टि के समस्त जीवों की माता हैं. आप मुझे पुत्र-पौत्र, धन-धान्य, हाथी-घोड़े, गौ, बैल, रथ आदि प्रदान करें. आप मुझे दीर्घ-आयुष्य बनाएँ.
हे लक्ष्मी! आप मुझे अग्नि, धन, वायु, सूर्य, जल, बृहस्पति, वरुण आदि की कृपा द्वारा धन की प्राप्ति कराएँ..
हे वैनतेय पुत्र गरुड़! वृत्रासुर के वधकर्ता, इंद्र, आदि समस्त देव जो अमृत पीने वाले हैं, मुझे अमृतयुक्त धन प्रदान करें.
इस सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती, वे सत्कर्म की ओर प्रेरित होते हैं.
हे त्रिभुवनेश्वरी! हे कमलनिवासिनी! आप हाथ में कमल धारण किए रहती हैं. श्वेत, स्वच्छ वस्त्र, चंदन व माला से युक्त हे विष्णुप्रिया देवी! आप सबके मन की जानने वाली हैं. आप मुझ दीन पर कृपा करें.
भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी, माधवप्रिया, भगवान अच्युत की प्रेयसी, क्षमा की मूर्ति, लक्ष्मी देवी मैं आपको बारंबार नमन करता हूँ..
हम महादेवी लक्ष्मी का स्मरण करते हैं. विष्णुपत्नी लक्ष्मी हम पर कृपा करें, वे देवी हमें सत्कार्यों की ओर प्रवृत्त करें.
जो चंद्रमा की आभा के समान शीतल और सूर्य के समान परम तेजोमय हैं उन परमेश्वरी लक्ष्मीजी की हम आराधना करते हैं.
इस लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से युक्त होकर शोभायमान रहता है. वह धन-धान्य व पशु धन सम्पन्न, पुत्रवान होकर दीर्घायु होता है.
श्री लक्ष्मी सूक्त पाठ करने का नियम (Shri Laxmi Suktam Paath Niyam)
श्री लक्ष्मी सूक्त पाठ को करने का एक नियम होता है. हमें इस पाठ को शुक्रवार के दिन सुबह या फिर शाम के समय नहा-धोकर इस पाठ को करना चाहिए. इस पाठ को करें तो पूरी शुद्धता के साथ.
नहाने के बाद इस पाठ को करने के लिए सफेद रंग के वस्त्र पहनकर घर में पूजा स्थान या फिर लक्ष्मी जी के मंदिर में इस पाठ को करें.
मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजन कर लक्ष्मी जी के समक्ष घी का दीपक लगाएं. फिर श्री सूक्त पाठ शुरु करें.
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