Ramayan : सीताहरण विश्व विजेता रावण और उसके वंश के पतन का कारण बना. मगर इस पतन की पृष्ठभूमि बरसों पहले से बनने लगी थी. अपने जीवनकाल में रावण ने कई वरदान प्राप्त किए थे, लेकिन उन पर दूसरों से मिले श्राप भारी पड़ गए. आइए जानते हैं किसने और क्यों दिए दशानन को श्राप.
राजा अनरण्य का श्राप
वध के वर्षों पहले रघुवंश (भगवान राम के वंश में) के ही एक राजा अनरण्य ने रावण को श्राप दिया था. ऐसा तब हुआ था जब रावण विश्वविजय करने निकला था. राजा अनरण्य और रावण बीच युद्ध हुआ, जिसमें राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई. मृत्यु के पहले राजा अनरण्य ने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में जन्मा व्यक्ति तेरी मौत का कारण बनेगा.
नंदी बैल ने भी दिया श्राप
एक बार रावण कैलाश पर्वत पहुंचा. जहां उसने नंदी के स्वरूप का उपहास किया. रावण ने नंदी को वानर मुख जैसा बोला. इससे क्रोधित होकर नंदी ने रावण को श्राप दिया कि बंदर ही तेरा सर्वनाश का कारण बनेंगे.
बहन के क्रोध का हुआ शिकार
रावण अपनी ही बहन सुर्पणखा के क्रोध का शिकार हुआ. सुपर्णखा का विवाह विद्युतजिव्ह से हुआ था, जो राजा कालकेय का सेनापति था. विश्वविजय अभियान के दौरान रावण का युद्ध कालकेय से हुआ. उसमें रावण ने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया. तभी सुर्पणखा ने रावण को श्राप दिया था कि मैं ही तेरे सर्वनाश का कारण बनूंगी.
पत्नी की बहन ने दिया था श्राप
रावण ने पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था. माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे. एक दिन रावण शंभर के यहां गया. वहां रावण ने अनैतिक कर्म के लिए माया को बातों में फंसाया. शंभर को जानकारी होने पर उन्होंने रावण को बंदी बना लिया. उसी समय शंभर पर दशरथ ने आक्रमण कर दिया. इसमें शंभर मारा गया. पति की मृत्यु के बाद जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे साथ चलने को कहा. तब माया ने श्राप देते हुए कहा कि तुमने अनैतिक कर्म के लिए सतित्व भंग करने का प्रयास किया. तुम्हारा यही अनैतिक विचार तुम्हारी मौत का कारण बनेगा.
विष्णु भक्त का भी लगा श्राप
एक बार रावण पुष्पक विमान से जा रहा था. तभी उसे जंगल में सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो विष्णु की तपस्या में लीन थी. रावण ने उससे अनैतिक व्यवहार करने की चेष्टा की और उस तपस्वनी ने देह त्याग दी. उसने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री ही तेरी मौत का कारण बनेगी.
नलकुबेर ने भी दया था श्राप
अप्सरा रंभा से रावण ने अनैतिक व्यवहार किया. जोकि रावण के बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित थी, यानी उसकी बहू के समान थी. इससे क्रोधित होकर नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था. रावण किसी भी औरत को इच्छा के विरूद्ध स्पर्श करेगा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे.
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