Sita Navami 2024: सीता नवमी (Sita Navami) हर साल वैशाख माह (Vaishakh Month) के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है.


इस दिन को सीता माता (Sita Mata) के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है. इस दिन को सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है. 


सीता नवमी के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.


देवी सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) में हुआ था. देवी सीता का विवाह भगवान राम (Shree Ram) से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह (Chaitra Month) के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था.


हिंदू पंचांग के अनुसार सीता जयन्ती राम नवमी के एक माह के बाद आती है.


सीता नवमी का पर्व साल 2024 में 16 मई, गुरुवार  (16 May, 2024 Thursday) के दिन मनाया जाएगा. सीता नवमी के दिन श्री राम और माता सीता के मंदिरों को सजाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.


सीता नवमी 2024 तिथि (Sita Navami 2024 Tithi)


नवमी तिथि शुरुआत - 16 मई 2024 06:22 से 
नवमी तिथि समाप्त - 17 मई 2024 08:48 मिनट तक रहेगी.


सीता नवमी मध्याह्न मुहूर्त (Muhurat) - 10:56 से 13:39
अवधि - 02 घण्टे 43 मिनट्स


कब हुआ था  श्री राम और माता सीता का विवाह


मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सीता माता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था. इसीलिए हर साल इसी तिथि को विवाह पंचमी (Vivah Panchami) या श्री राम विवाहोत्सव के रुप में मनाया जाता है.


देवी सीता के विवाह के दौरान उनके पिता मिथिला नरेश राजा जनक ने एक स्वयंवर रखा था. जिसमें राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र भगवान श्री राम के साथ अन्य राजकुमारों ने भी हिस्सा लिया श्री राम ने स्वयंवर में शिवधनुष को तोड़ने के उपरांत उनका विवाह माता सीता के साथ हुआ.


माता सीता और श्री राम विवाह कथा


भगवान राम विष्णु के अवतार माने जाते हैं. उनका जन्म अयोध्या (Ayodhya) नगरी के राजा दशरथ (Raja Dashrath) के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था. वहीं सीता राजा जनक (Raja Janak) की पुत्री थीं. कहा जाता है कि सीता जी (Sita Ji) का जन्म धरती से हुआ था.


राजा जनक हल चला रहे थे उस समय उन्हें एक नन्ही सी बच्ची मिली थी, जिसका नाम उन्होंने सीता रखा था. यही वजह है कि सीता जी को जनक नंदिनी (Janak Nandini) के नाम से भी जाना जाता है.


एक बार माता सीता ने शिव जी (Shiv Ji) का धनुष उठा लिया था, जिसे परशुराम के अलावा और कोई नहीं उठा सकता था. ऐसे में राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि जो भी शिव जी का धनुष (Dhanush) उठा पाएगा सीता का विवाह उसी से होगा.


फिर सीता के स्वयंवर के लिए घोषणाएं कर दी गईं. भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ गए और देवी सीता के स्वयंवर में प्रतिभाग किया. वहां पर कई और राजकुमार भी आए हुए थे पर कोई भी शिव जी के धनुष को नहीं उठा सका.


वहां पर आए तमाम वीरों ने अपनी ताकत लगाई पर धनुष को जगह से हिला भी नहीं पाए, जिसके बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम (Shree Ram) ने ऐसा कर दिखाया. जैसे ही उन्होंने शिव का धनुष उठाया उसके दो टुकड़े हो गए और वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया. इसके बाद विधि के अनुसार मां सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के साथ से हुआ.


जिस दिन माता सीता और प्रभु राम का विवाह हुआ था, उस दिन मार्गशीर्ष माह की पंचमी तिथि थी, इसलिए हर साल इस दिन विवाह पंचमी (Vivah Panchami) मनाई जाती है. 


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