Sixth Day Of Navratri: मां कात्यायनी देवी का रुप बहुत आकर्षक है. इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है. मां की चार भुजा हैं और इनकी सवारी सिंह है. मां कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. साथ ही दूसरें दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है.


विधि पूर्वक पूजा करने से जिन कन्याओं के विवाह में देरी आती है इस पूजा से लाभ मिलता है. एक कथा के अनुसार कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी. माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु ब्रहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं.


मां कात्यायनी की कथा


एक पौराणिक कथा के अनुसार कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य थे. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे और जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने मिलकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. ऋषि कात्यायन के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है.


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पूजा का समय


मां कात्यायनी की पूजा विधि पूर्वक करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है. इनकी पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. रोग से मुक्ति मिलती है. मां का ध्यान गोधुलि बेला यानि शाम के समय में करना चाहिए.


पूजन विधि


नवरात्रि के छठवें दिन सबसे पहले मां कत्यायनी को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. इसके बाद मां की पूजा उसी तरह की जाए जैसे कि नवरात्रि के बाकि दिनों में अन्य देवियों की जाती है. इस दिन पूजा में दिन शहद का प्रयोग करें. मां को भोग लगाने के बाद इसी शहद से बने प्रसाद को ग्रहण करना शुभ माना गया है.


मां कात्यायनी का मंत्र


ॐ कात्यायिनी देव्ये नम:
विवाह में देरी हो रही है तो इस मंत्र का जाप करें
विवाह में देरी आ रही है तो इस मंत्र का जाप करें-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥


मां को प्रसन्न करने का मंत्र


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसके अलावा इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


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