Skanda Sashti 2020: 23 अगस्त को स्कंद षष्टी का पर्व है. आज का दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. भगवान कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है. वहीं भगवान कार्तिकेय जीवन में आने वाली बाधाओं से भी दूर रखते हैं. जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ हैं उन्हें आज के दिन कार्तिकेय भगवान की पूजा करने से लाभ मिलता है.


संतान संबंधी कष्ट दूर होते हैं
स्कंद षष्टी की पूजा संतान संबंधी चिंताओं को दूर करने वाला माना गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से यश, वैभव और आरोग्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही यह व्रत संतान पर आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है. स्कंद षष्टी का पर्व दक्षिण भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है. दक्षिण भारत में कार्तिकेय को भगवान सुब्रह्मण्यम के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पूजा में चंपा के फूल अर्पित किए जाते हैं. कहा जाता है कि भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल बहुत प्रिय हैं. चंपा के पुष्प व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं. कुछ स्थानों पर इसे स्कंद षष्टी को चंपा षष्ठी भी कहा जाता है.


तारकासुर का वध आज के दिन किया था
मान्यता है कि आज के दिन यानि स्कंद षष्टी की तिथि पर ही भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था.


स्कंद षष्टी पूजा विधि
सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें. पूजा में चंपा के पुष्प को अवश्य शामिल करें. आज के दिन संपूर्ण शिव परिवार की भी पूजा की जाती है. आज के दिन भगवान कार्तिकेय को मिष्ठान और पुष्प अर्पित किए जाते हैं. स्कन्द षष्ठी के दिन व्रतधारी व्यक्तियों को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए.


शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 23 अगस्त को षष्टी की तिथि का शुभारंभ रात्रि 7 बजकर 05 मिनट पर होगा. 24 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट तक रहेगी.


Parivartini Ekadashi 2020: 29 अगस्त को है परिवर्तिनी एकादशी, जानें महत्व और व्रत आरंभ का समय