Ideal Woman: स्त्री के बिना सृष्टि के निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती. हिंदू धर्म में स्त्री को देवी की उपाधि दी गई है. समाज के कल्याण में महिला की अहम भूमिका है. शास्त्रों में एक श्रेष्ठ स्त्री के गुणों का जिक्र किया गया है. मान्यता है कि जिन महिलाओं में ये चार गुण होते हैं वो आदर्श स्त्री और मां लक्ष्मी का रूप कहलाती है. आइए जानते हैं शास्त्रों के अनुसार महिला के कौन से गुण उन्हें बनाते हैं सौभाग्यशाली
धर्म का पालन करने वाली
शास्त्रों के अनुसार धार्मिक स्त्री घर में समृद्धि का कारक बनती है. धर्म का पालन करने वाली स्त्रियां अच्छे और बुरे के बीच फर्क करना जानती है. वो न सिर्फ परिवार बल्कि समाज को भी सही राह दिखाती है. धर्म के रास्ते पर चलने वाली स्त्री परिवार को गलत कार्य करने से रोकती है.
धन संचय
जिन स्त्रियों में धन संचय का गुण होता उनके परिवार पर कभी संकट के बादल नहीं छा सकते. शास्त्रों के अनुसार एक स्त्री को पैसों की बचत करना आना चाहिए. विपरित परिस्थिति में यही धन ल्यक्ति को मुश्किल घड़ी से निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मान्यता है कि एक श्रेष्ठ स्त्री पैसों का मैनेजमेंट करना अच्छी तरह जानती है. वो फिजूल खर्चा नहीं करती हैं. ऐसी स्त्रियां वर्तमान और भविष्य की आर्खिक स्थिति को ध्यान में रखकर पैसों का उपयोग करती हैं.
मधुर वाणी
कहते हैं कि वाणी ही रिश्ते बनाती और बिगाड़ती है. शास्त्रों के अनुसार मधुर वाणी बोलने वाली स्त्री परिवार के लिए सौभाग्यशाली मानी जाती है. मृदुभाषी महिला हमेशा सबको एकसूत्र में बांधकर रखती है. ऐसी स्त्रियां सम्मान की पात्र बनती हैं और सदा मायके और ससुराल की प्रतिष्ठा बढ़ाती हैं.
शिक्षित और साहसी
एक शिक्षित स्त्री से न सिर्फ उसका बल्कि पूरे समाज का विकास होता है. ऐसी महिलाएं पूरे परिवार के लिए प्रेरणा बनती हैं. शिक्षा से जन्म लेता है साहस. साहसी स्त्री मुसीबत के समय घबराती नहीं. डटकर विपरीत परिस्थिति का सामना करती है. एक आदर्श स्त्री में शिक्षा और साहस का गुण जरूर होना चाहिए.
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