Solah Shringar: महिलाएं क्यों लगाती है बिंदी, जानें सोलह श्रृंगार से जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य
Solah Shringar Significance: बिंदी या कुमकुम का संबंध केवल सौंदर्य से ही नहीं होता, बल्कि हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. साथ ही इससे कई वैज्ञानिक कारण और स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हैं.
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Solah Shringar, Bindi Dharmik and Scientific Significance: हिंदू धर्म से कई परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, इन्हीं में एक सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार. शास्त्रों में सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार के बारे में बताया गया है, जिसका धार्मिक महत्व तो होता ही है. साथ ही इसके वैज्ञानिक पहलू भी जुड़े होते हैं.
आमतौर पर सुहागिन महिलाएं सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र, पायल और बिछिया को श्रृंगार में जरूर शामिल करती हैं. श्रृंगार से जुड़ी ये चीजें महिला के लिए खास होती हैं और इन्हें सुहाग का प्रतीक माना जाता है.
सोलह श्रृंगारों में एक है बिंदी या कुमकुम. यह भारतीय हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा माना जाता है. आज भले ही स्टाइल स्टेटमेंट, सौंदर्य को निखारने या चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए तरह-तरह की बिंदियां लगाई जाती हैं, लेकिन इसकी परंपरा सदियों से चली आ रही है. क्या आप जानते हैं कि माथे पर बिंदी लगाने के पीछे न सिर्फ हिंदू मान्यता बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी शामिल हैं.
बिंदी का धार्मिक महत्व
बिंदी का अर्थ बूंद या कर्ण से होता है. बिंदी को बिंदिया, कुमकुम, टीप,टिकली और बोट्टू जैसे अन्य कई नामों से जाना जाता है. हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाएं रंग-बिरंगी बिंदी लगाती हैं. वहीं लाल रंग की बिंदी का संबंध माता लक्ष्मी से होता है. ज्योतिष में भी लाल रंग को मंगल ग्रह का कारक माना गया है. इसलिए सुहागिन महिलाओं द्वारा लाल रंग के बिंदी लगाने के जीवन में खुशहाली आती है. लेकिन काले रंग की बिंदी सुहागिन महिलाओं का लगाना अपशकुन माना जाता है. महिलाएं दोनों भौंह के बीचों बीच बिंदी लगाती हैं. यह शरीर का छठा चक्र होता है, जिसे आज्ञा चक्र, भौंह चक्र या फिर तीसरा नेत्र कहते हैं. इन सभी चक्रों का वर्णन वेदों में भी मिलता है. बिंदी लगाने से आंतरिक ज्ञान को बढ़ाने वाली शक्तियों का विकास होता है.
बिंदी लगाने के फायदे और वैज्ञानिक तथ्य
- माथे के बीचों बीच पीनियल ग्रन्थि होती है. बिंदी लगाते समय दबाव पड़ने से यह ग्रंथि तेजी से काम करती है. इससे दिमाग शांत होता है और काम में एकाग्रता बढ़ती है. साथ ही इससे गुस्सा और तनाव भी कम होता है.
- माथे पर जहां बिंदी लगाई जाती है वहां एक विशिष्ट बिंदु है. एक्यूप्रेशर सिद्धांतों के अनुसार यह बिंदु सिरदर्द से राहत देता है. यहां बिंदी लगाने से नसों और रक्त वाहिकाओं का अभिसरण होता है.
- शिरोधरा विधि के अनुसार माथे के इस बिंदी वाले स्थान पर दबाव बनाने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है.
- जिस स्थान पर बिंदी लगाई जाती है, उस स्थान से कान से संबंधित नस भी गुजरती है, जिस पर दबाव पड़ने से सुनने की क्षमता बढ़ती है.
- बिंदी लगाने से साइनस जैसी समस्या से भी फायदा मिलता है. क्योंकि इस प्वाइंट का नाक की नली से सीधा संबंध होता है. बिंदी लगाते समय जब यहां दबाव पड़ता है तो म्यूकस निकलना आसान होता है.
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