Panchang: पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास चल रहा है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ये नौवां महीना है. इसे अगहन मास भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय महीना कहा गया है.


मार्गशीर्ष मास में की जाने वाली पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इस माह में भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ भगवान विष्णु, तुलसी माता, शंख की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है. इतना ही नहीं मार्गशीर्ष मास में पवित्र नदी में स्नान करना और दान देने से भी देवताओं का आर्शीवाद प्राप्त होता है. आने वाले कुछ दिन पूजा-पाठ और धर्म कर्म के लिए बहुत ही विशेष हैं.


सोमवती अमावस्या पर पितरों की पूजा करें
11 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी के बाद 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या है. इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण की घटना को बहुत ही विशेष माना गया है. यह सूर्य ग्रहण साल का अंतिम ग्रहण है. ये सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और मिथुन लग्न में लगने जा रहा है. इस दिन अमावस्या की तिथि है. सोमवार को अमावस्या तिथि होने से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या पर पितृ चंद्रमा की कला का पान करते हैं. इस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए पूजा पाठ और तर्पण करने को लाभकारी माना गया है.


खरमास कब से शुरू हो रहे हैं
पंचांग के अनुसार खरमास का आरंभ 16 दिसंबर से होगा. खरमास का समापन 15 जनवरी 2021 को होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इसलिए जिन लोगों को शुभ कार्य करने हैं वे 16 दिसंबर से पहले पहले कर लें. ज्योतिष गणना के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि में आ जाते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है. दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है. मकर संक्रांति से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है. इसी दिन खरमास समाप्त हो जाता है.


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