Somavati Amavasya 2022: साल 2022 में कुल 13 अमावस्या पड़ेगी. इसमें से दो सोमवती अमावस्या है. एक सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी, दूसरी सोमवती अमावस्या 30 मई को पड़ेगी. सोमवार के दिन पडने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है. 108 चीजों का दान दिया जाता है.


सोमवती अमावस्या व्रत कथा


एक गरीब ब्राह्मण कन्या का विवाह सिर्फ इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि वह बहुत ही निर्धन ब्राह्मण था. धन का उसके पास अभाव था. एक दिन ब्राह्मण दंपत्ति ने एक साधु से इसका उपाय पूछा. तो साधु ने उसे बताया कि पास के गांव में एक धोबिन अपने बेटे बहु के साथ रहती है. धोबिन बहुत ही संस्कारी और पति पारायण है. अगर तुम्हारी बेटी निस्वार्थ भाव उस धोबिन की सेवा करें. और अगर धोबिन प्रसन्न होकर उसे अपनी मांग का सिंदूर दे दे तो कन्या का वैधव्य मिट सकता है. और इसका विवाह उच्च कुल में हो सकता है. इतना सुनकर उस गरीब कन्या ने धोबिन की सेवा का मन बनाया. अगले दिन सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जाकर वह धोबिन के घर का सारा काम करने लगी. काफी दिनों तक इसी तरह बीत जाने के बाद धोबिन ने अपनी बहू से पूछा की बेटी तुम रोज सुबह सुबह इतना काम इतनी जल्दी कैसे निपटा लेती हो. तो बहू ने बताया कि माता जी मैं सोचती थी कि यह काम आप करती हैं.


बहू की बात सुनकर धोबिन को बड़ा आश्चर्य हुआ, और उसने सुबह उठकर निगरानी करने की सोंची. उसने देखा कि उसके घर सुबह-सुबह एक कन्या काम करने आती है, जो सारा काम करके चली जाती है. कई दिनों तक ऐसा होता रहा, एक दिन धोबिन ने उस कन्या के पैर पकड़ लिए और उससे इसका कारण पूछा. तो कन्या ने साधु के द्वारा कही सारी बात उसे बता दी. धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उसे दिया. उसी समय धोबिन का पति मर गया. इससे दुखी होकर धोबिन निराजल घर से निकल पड़ी. उसने एक पीपल के पेड़ के पास जाकर ईटों के 108 टुकड़े लिए. और 108 टुकड़ों को 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हुए फेंकती जाती. ऐसा करने से उसका पति जीवित हो गया. इसलिए मौनी अमावस्या या सोमवती अमावस्या को व्रत करना चाहिए.


सोमवती अमावस्या व्रत से लाभ



  • सोमवती अमावस्या का व्रत करने से सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है.

  • सोमवती अमावस्या के व्रत में पीपल के पेड़ की परिक्रमा का विशेष महत्व है.

  • सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में कच्चे सूत बांधकर 108 बार परिक्रमा की जाती है, पीपल की परिक्रमा करने से आए हुए संकट से मुक्ति मिल जाती है, और दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त होता है.

  • सोमवती अमावस्या में व्रत के साथ-साथ दान और पुण्य का भी विशेष महत्व है इससे सभी प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.




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