Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है.इस दिन व्रत करने से भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं. ऐसी मान्यता है कि सोमवार का उपवास करने से शिव जैसे पति मिलते हैं. कहते हैं शिव जी अपने भक्तों की श्रृद्धा और भक्ति से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, इसीलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है.भगवान शिव एकमात्र ऐसे देव हैं, जो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन अगर इनकी पूजा-अर्चना में किसी प्रकार की भूल हो जाए तो भगवान रूष्ट हो सकते हैं. इसलिए बहुत जरूरी है कि इनकी पूजा अर्चना करते में कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.
इस रंग के वस्त्र धारण करें
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र ग्रहण करें.शिव पूजा के दौरान पहने जाने वाले वस्त्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक सोमवार के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में हरा, लाल, सफेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग का वस्त्र पहन शुभ माना जाता है. इसलिए इन रंगों को धारण करें.
ऐसे करें शिवजी की पूजा-अर्चना
शिवजी समेत माता पार्वती और नंदी को गंगाजल और दूध चढ़ाएं. शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल(अक्षत) अर्पित करें. यहां इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चावल का दाना टूटा हुआ नहीं होना चाहिए. फिर तिलक लगा कर धूप, दीप जलाएं। सबसे पहले गणेश जी की आरती करें और फिर शिवजी की आरती करें. फिर शिवजी को घी, शक्कर या प्रसाद का भोग लगाएं. इसके बाद सभी में प्रसाद बांटे। पूजा में बिल्व पत्र, चंदन, धतूरा और आंकड़े का फूल अर्पित करें. भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. पूजन के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें, इससे शांति एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके अलावा नमः शिवाय, ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
क्या खाएं
हिंदू शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत में तीन पहर में एक बार ही भेजना करना चाहिए. ध्यान रखें कि व्रत में फलाहार लिया जा सकता है.
पूजा अर्चना के दौरान न करें ये गलतियां
- दूध का जलाभिषेक देते समय गलती से भी तांबे के लोटे में दूध न डालें.
शिवजी - की पूजा को बीच में आधा-अधूरा छोड़ कर नहीं उठना चाहिए.
- मान्यता है कि शिवजी को सफेद रंग के फूल पसंद होते हैं, पर केतकी का फूल पूजा में नहीं चढ़ाएं.
- शिवलिंग पर दूध, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल जरूर चढ़ाएं तभी जलाभिषेक पूर्ण होता है.
- शिव की पूजा में शंख से जल अर्पित से बचना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर कभी भी रोली व सिंदूर की तिलक नहीं करना चाहिए. शिवलिंग पर हमेशा चंदन का ही तिलक करें.
- पूजा में तिल का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, ऐसे में तिल भगवान विष्णु को तो अर्पित किया जाता है
- पर शिव जी को नहीं चढ़या जाता।
- भगवान शिव के मंदिर में परिक्रमा करते वक्त ध्यान रखें कि कभी भी पूरी परिक्रमा न लगाएं. जहां से दूध बहता है वहां रूक जाएं और वापस घूम जाएं.
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