Somvar Vrat Udyapan: शिवजी का स्मरण कर करें सोमवार व्रत का उद्यापन, यहां जानिए सरल विधि, सामग्री और नियम
Somvar Vrat Udyapan: सोमवार व्रत का संकल्प पूरा होने के बाद उद्यापन करना जरूरी होता है. जब तक व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता, तब तक उसका फल प्राप्त नहीं होता. जानते हैं सोमवार व्रत की उद्यापन विधि.
Somvar Vrat Udyapan Vidhi and Importance: भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा-पाठ किए जाते हैं. शिवजी की पूजा के लिए सोमवार का दिन समर्पित है. लेकिन किसी मनोकमना की पूर्ति आदि के लिए भक्त सोमवार का व्रत रखते हैं. कई लोग सोलह सोमवार का भी व्रत रखते हैं. आप चाहे जितने सोमवार का भी व्रत रखें. लेकिन मनोकामना पूर्ति के बाद या व्रत का संकल्प पूरा होने के बाद उद्यापन करना जरूरी होता है.
किसी भी व्रत का पूर्ण फल तभी मिलता है जब आप उसका विधि-विधान से उद्यापन करते हैं. सोमवार व्रत के बाद भगवान शिव का स्मरण कर जो अंतिम पूजा होती है, उसे सोमवार व्रत का उद्यापन कहा जाता है. हालांकि उद्यापन करने के बाद भी आप कभी भी सोमवार व्रत करने का दोबारा संकल्प ले सकते हैं.
कब करें सोमवार व्रत का उद्यापन
आप किसी भी महीने के सोमवार के दिन सोमवार व्रत का उद्यापन कर सकते हैं. लेकिन सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ और मार्गशीर्ष महीने के सोमवार को इस व्रत का उद्यापन करना उत्तम माना गया है.
सोमवार व्रत उद्यापन सामग्री
शिवजी और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर, चंद्रदेव की तस्वीर, लकड़ी की चौकी, अक्षत, बेलपत्र, पान, सुपारी, मौसमी फल, जनेऊ, रोली, मौली, धूप, कपूर, बाती, पंचामृत के लिए (दूध, दही, शहद, घी, मिश्री या गुड़), चंदन, गंगालजल, घी, लाल कपड़ा, फूल, नैवेद्य और दीपक. अगर आप हवन कराते हैं तो हवन की सामग्री, घी, जौ, आम की लकड़ी, काला तिल और अक्षत.
सोमवार व्रत उद्यापन विधि
सोमवार व्रत के उद्यापन में शिवजी और माता पार्वती के साथ ही चंद्र देव की भी पूजा जरूर करें. पूजा के लिए सबसे पहले पूजास्थल पर गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें. लकड़ी की चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इस पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही एक पात्र में चंद्रदेव की भी प्रतिमा रखें. भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर कुमकुल लगाएं. धूप-दीप जलाएं. इसके बाद फूल, माला, पान,सुपारी, मौली, जनेऊ, नैवेद्य चढ़ाएं और फल-पंचामृत का भोग लगाएं. भगवान को बेलपत्र, धतूरा, भांग अर्पित करें. इसके बाद शिवजी की आरती करें. पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दक्षिणा या वस्त्र दान करें.
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