Somwar Shiv Puja: भगवान शिव भक्तों की अराधना से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर उनके कष्टों को दूर करते हैं. कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा बहुत ही सरल और शीघ्र प्रसन्न करने वाली होती है. भोलेनाथ तो भक्तों द्वारा अर्पित किए गए जल और पत्तियों से ही प्रसन्न हो जाते हैं. सच्चे दिल से की गई अराधना कभी खाली नहीं जाती. मान्यता है कि शिव अराधना के लिए सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. भगवान शिव से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में उनके भक्तों का नहीं पता होगा. तो चलिए जानते हैं भोलेशंकर से जुड़े इन रहस्यों के बारे में. 


मां काली के चरणों में क्यों लेटे थे महादेव


ये तो सभी जानते हैं कि मां काली के चरणों में भगवान शिव लेटे हुए मुस्कुरा रहे हैं. लेकिन क्या आप इसका कारण जानते हैं? नहीं, तो चलिए बताते हैं इसके पीछे का रहस्य. एक बार मां काली बहुत क्रुद्ध अवस्था में थीं. महाशक्ति उस समय जहां-जहां कदम रख रहीं थीं, वहां विनाश होना निश्चित था. देव, राक्षस और मानव उस समय उन्हें रोकने में असमर्थ थे. तब सभी ने उन्हें रोकने के लिए भगवान शिव का स्मरण किया. तब भगवान शिव को भी ऐसा लगा कि वे भी उन्हें रोकने में समर्थ नहीं हैं. लेकिन कुछ देर सोच-विचार के बाद उन्होंने भावनात्मक रास्ता चुना और मां काली को रोकने पहुंच गए.


भोलेनाथ वहां पहुंचे और मां काली के रास्ते में लेट गए. मां काली ने अपने कुद्ध रूप में ध्यान नहीं दिया कि भगवान शिव वहां लेटे हुए हैं और उन्होंने शिव की छाती पर पैर रख दिया. लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि भगवान शिव की छाती पर उनका पैर है, उनका गुस्सा शांत हो गया और वह पश्चाताप करने लगीं.



मां पार्वती की ली थी परीक्षा


मां पार्वती से विवाह से पहले भगवान शिव ने उनकी परीक्षा ली थी. इस दौरान भगवान शिव ब्राह्मण रूप धारण कर माता पार्वती के पास पहुंचे. उनके समक्ष जाकर मां पार्वती से कहा कि वह भगवान शिव जैसे भिखारी से विवाह क्यों करना चाहती हैं उनके पास कुछ नहीं है. ब्राह्मण की ये बात सुनकर पार्वती मां क्रोधित हो गईं और उन्हें जवाब देते हुए कहा कि वह शिव के सिवा किसी और से विवाह नहीं करेंगी. माता पार्वती का ये जवाब सुनकर वे प्रसन्न हो गए और उसी समय अपने असली रूप में सामने आ गए. इसके बाद ही वे माता पार्वती से विवाह करने को राजी हुए.


भोलनाथ क्यों लगाते हैं भस्म


भगवान शिव पूरे शरीर पर भस्म क्यों लगाए रखते हैं इस बारे में शिव पुराण में बहुत ही दिलचस्प कहानी मिलती है. एक संत था खूब तपस्या करके शक्तिशाली हो गया था. सिर्फ फल और हरी पत्तियां खाने की वजह से उनका नाम प्रनद पड़ गया था. इतना ही नहीं, अपनी तपस्या के जरिए उस संत ने जंगल के सभी जीव-जंतुओं पर नियंत्रण बना लिया था. एक बार अपनी कुटिया के लिए लकड़ी काटते समय उसकी अंगूली कट गई. 


अंगूली से खून की बजाए पौधे का रस निकल रहा था. संत को ये देखकर लगा कि वे पवित्र हो चुका है कि जिस कारण उसके शरीर में खून नहीं पौधे का रस है. ये देखकर उस संत के अंदर बहुत ज्यादा घमंड भर गया और वे खुद को दुनिया का सबसे पवित्र शख्स मानने लगा. ये सब देख भगवान शिव ने बूढ़े का रूप धारण किया और संत के पास पहुंच गए. संत से बूढ़े के रूप में उसके खुश होने की वजह पूछी. इस पर साधु ने उन्हें अपनी खुशी की वजह बता दी. ये बात सुनकर शिव जी ने कहा कि पेड़-पौधों को जलाने के बाद उसमें भी बस राख ही शेष रह जाती है. 


ये बात कहने के बाद बूढ़े व्यक्ति का रूप धारण किए हुए भगवान शिव ने तुरंत अपनी अंगुली काटकर दिखाई और उससे राख निकली. ये देखकर साधु समझ गया कि उसके सामने भगवान खड़े हैं. साधु ने अपनी अज्ञानता के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी. तब से ही भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाने लगे, ताकि भक्त इस बात को हमेशा याद रखें. शारीरिक सौंदर्य का अहंकार न करें बल्कि अंतिम सत्य को याद रखें.


Satyam Shivam Sundaram: नर्मदा नदी का हर पत्थर क्यों माना जाता है शिव जी का रूप, जानें कारण


Satyam Shivam Sundaram: शिवजी के इस मंदिर में पूजा जाता है भगवान के पैर का अंगूठा, ये है इसके पीछे की कथा