Devdutt Pattanaik Biography and Mythology Books: देवदत्त पटनायक भारत और नई पीढ़ी के प्रसिद्ध और सफल लेखकों में एक हैं, जो पेशे से एक डॉक्टर हैं. देवदत्त पटनायक विशेषतौर पर पौराणिक कथाओं और धार्मिक ज्ञान को नए तरीके से प्रस्तुत करने की कला के कारण जाने जाते हैं. धर्म, धार्मिक ग्रंथ, पुराण, शास्त्र इतिहास और भारतीय विचारधारा के प्रति गहरी रुचि होने के कारण इन्होंने इस पर अध्ययन किया और लेखक बन गए. देवदत्त पटनायक की कई किताबें बेस्टसेलर हैं. जानते हैं देवदत्त पटनायक के बारे में विस्तार से..
देवदत्त पटनायक की जीवनी (Biography of Devdutt Pattanaik)
देवदत्त पटनायक का जन्म 11 दिसंबर 1970 में उड़ीसा में हुआ. लेकिन ये मुंबई में पले-बढ़ें. मुंबई में ही इन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई भी की और इसके साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी से तुलनात्मक पौराणिकी (Comparative Mythology) का कोर्स किया.
डॉक्टर से लेखक कैसे बनें देवदत्त पटनायक
14 साल तक डॉक्टरी क्षेत्र से जुड़े रहते हुए इन्होंने साथ ही साथ वेद-पुराण से जुड़े विषयों पर लेख और पुस्तक भी लिखीं. अपने काम से बचे समय को इन्होंने पौराणिक कथाओं पर किताबें लिखने में बिताया और आखिर में यह उनका पूर्णकालिन पेशा बन गया. इनकी पहली पुस्तक ‘शिवा: इन इंट्रोडक्शन’ 1997 में प्रकाशित हुई था.
देवदत्त पटनायक की प्रसिद्ध किताबें (Devdutt Pattanaik Best Sellers Books)
देवदत्त पटनायक की कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और इनकी कई किताबें तो बेस्टसेलर हैं. लेकिन इनकी किताबों के बारे में बताने से पहले आपको यह बता दें कि, देवदत्त पटनायक की किताबों की खास बात यह होती है कि, ये अपनी सभी किताबों में चित्र भी खुद ही बनाते हैं. इतना ही इनके द्वारा बनाए गए चित्रों का प्रदर्शनी भी लग चुकी है.
देवदत्त पटनायक की किताबें इतनी सफल रही कि उनके द्वारा लिखी कई पुस्तकों का हिंदी, तमिल, तेलुगू, गुजराती और मराठी भाषा में अनुवाद किया गया. देवदत्त पटनायक ने पौराणिक कथा, प्रबंध, उपन्यास और बच्चों की किताबें भी लिखी हैं. इनकी बेस्टसेलर पुस्तकों में...
मिथ = मिथ्या: ए हैंडबुक ऑफ हिंदू माइथोलॉजी (Myth = Mithya)
जया: महाभारत की एक इलस्ट्रेटेड रीटेलिंग (Jaya: An illustrated retelling of the Mahabharata)
सीता: रामायण की एक इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग (Sita: An Illustrated Retelling of Ramayana)
मेरी गीता (My Gita)
गर्भवती राजा (The Pregnant King)
बिजनेस सूत्र (Business Sutra)
शिखंडी (Shikhandi) आदि जैसी पुस्तकें शामिल हैं.
विभिन्न संदर्भों में देवदत्त पटनायक के विचार
मिथक और पुराण: देवदत्त पटनायक का मत है कि "कोई भी समाज मिथक के बिना मौजूद नहीं हो सकता. क्योंकि यह सही और गलत, अच्छे और बुरे, स्वर्ग और नरक, अधिकारों और कर्तव्यों की धारणा को बनाता है." पौराणिक कथाएं लोगों को यह बताती है कि उन्हें दुनिया को कैसे देखना चाहिए. अपनी किताब में देवदत्त पटनायक लिखते हैं-अलग-अलग लोगों की अपनी पौराणिक कथाएं होंगी, पुराने को फिर से बनाना या नए बनाना, उनकी इच्छा है "सरस्वती को कोठरी से बाहर निकालना. सरस्वती हर जगह हैं, उन्हें हर जगह बहना है और उनके काम का उद्देश्य "ज्ञान को सुलभ बनाना" है.
व्यापार- अपनी किताब बिजनेस सूत्र: एन इंडियन अप्रोच टू मैनेजमेंट में इन्होंन लिखा, केंद्रीय विषय यह है कि जब व्यक्तिगत विश्वास कॉर्पोरेट विश्वासों के साथ संघर्ष में आते हैं तो संगठनों में समस्याएं सामने आती हैं. इसके विपरीत, जब संस्थागत और व्यक्तिगत विश्वास एक जैसे होते हैं तो कॉर्पोरेट वातावरण सद्भाव परिणामी हो जाता है. ऐसा तब होता है जब लोगों को मुआवजे और तथाकथित प्रेरणा के माध्यम से प्रबंधित के लिए केवल संसाधनों के रूप में देखा जाता है, उन्हें सर्किट बोर्ड में स्विच की तरह माना जाता है और जब असंतोष विघटन का कारण बनता है.
शुद्धिकरण और आत्मज्ञान में भेद: देवदत्त पटनायक शुद्धिकरण और आत्मज्ञान के बीच अंतर को बताते हुए कहते हैं- जब शुद्धता में अहंकार होता है तो उसमें वर्णव्यवस्था आ जाती है. मेरे अलावा कोई दूसरा शुद्द नहीं यह अंहकार पैदा होता है. इसके विपरीत आत्मज्ञान में अंहकार टूट जाता है. वहां अंतर नहीं होता. इसलिए मन का शुद्धिकरण, अंहकार से आत्मा तक की यात्रा होती है.
मानवनिर्मित धर्म: मानवनिर्मित धर्म मानवीय संकल्पना है. जंगल में ताकतवर पशु अपने से दुर्बल पशु को मारकर खाता है. यह प्रकृति का नियम है. लेकिन मानवीय जीवन में ऐसा नहीं किया जा सकता. मानवीय जीवन में ताकतवर लोगों को दुर्बल लोगों का ख्याल रखना चाहिए. उसकी यात्रा पशु से पुरुष तक की होनी चाहिए. यह सच्चा धर्म है और यही धर्म की बुनियाद है.
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