Sankashti Chaturthi: भगवान गणेश को लेकर कई कथाए हैं. पुराणों में भी गणेश जी की कथाओं का वर्णन आता है. गणेश जी की इन कथाओं में जो सबसे अधिक प्रचलित है वो हैं गजानन बनने की कथा.


गणेश जी ऐसे बने गजानन


पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणेश शिशु अवस्था में थे तो एक बार शनि की दृष्टि पड़ने से गणेश जी का सिर जलकर भस्म हो गया. इस पर माता पार्वती को बहुत दुख हुआ और इस पीड़ा को उन्होंने ब्रह्मा जी के सामने रखा. इस पर ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसी को गणेश के सिर पर लगा दें. इसके बाद पार्वती जी वहां से चलीं आईं. पहला सिर हाथी के बच्चे का मिला. इसे गणेश जी को लगा दिया. इसके बाद गणेश जी गजानन कहलाए जाने लगे.


भगवान शिव को जब क्रोध आया


एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती स्नान करने चली गईं और द्वार पर गणेश जी को बैठा दिया और कहा किसी को प्रवेश न दें. तभी वहां पर भगवान शिव का आगमन हुआ. उन्होंने प्रवेश करने की कोशिश की तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया. इस पर भगवान शंकर को क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया. बाद में गणेश जी को हाथी का सिर लगाया गया.


एकदंत बनने की कथा


भगवान शंकर और माता पार्वती जब अपने शयन कक्ष में विश्राम कर रहे थे तो गणेश जी को उन्होंने द्वार पर बैठा दिया. और कहा कि किसी को भी आने नहीं दे. माता पिता की आज्ञा का पालन कर रहे गणेश जी के पास तभी परशुराम जी आ गए और भगवान शंकर से मिलने के लिए कहा. लेकिन गणेश जी ने ऐसा करने से माना कर दिया. इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होने अपने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया. इसके बाद गणेश जी को एकदंत कहा जाने लगा.


11 अप्रैल को मनाई जाएगी संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की होगी पूजा