Steve Jobs: एप्पल के सह-संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के बहुत बड़ों भक्तों में से एक थे. उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्श किया, यहां तक की पैसों की कमी की वजह से उनको अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी. जिंदगी में पल-पल पर बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना कर उन्होंने एप्पल की शुरुआत की, अपने पिता के छोटे से गैरेज से उन्होंने आज के समय की टॉप कंपनी की नींव रखी थी. पूरी दुनिया में अपना परचम लहराने के बाद आज ही दिन 5 अक्टूबर 2011 को उन्हें दुनिया को अलविदा कह दिया. 5 अक्टूबर 2011 को कैंसर की बिमारी से उनकी मौत हो गई.  स्टीव जॉब्स को एक कामयाब बिजनेसमैन के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान भी थे, जिन्होंने अपनी जिंदगी को अपनी सफलता के दम पर कामयाब बनाया. 


1974 में स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के दरबार में आए थे. उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा सच जो रहस्य बन चुका था, उसके जानने के लिए बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे. लेकिन बाबा से स्टीव जॉब्स की मुलाकात नहीं हुई क्योंकि बाबा का देह 1973 में त्याग चुके थे. स्टीव जॉब्स इस यात्रा के दौरान नीम करोली के बाबा के आश्रम कैंची धाम में रुके थें.


स्टीव जॉब्स भारत एक टूरिस्ट की तरह नहीं आए थे, बल्कि अध्यात्मिक खोज उन्हें यहां खींच लाई थी.उन्हें एक सच्चे गुरू की तलाश थी. स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए. यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं.


यह भी माना जाता है स्टीव जॉब्स को एप्पल के LOGO का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था. नीम करौली बाबा को कथित तौर पर सेब  बहुत पसंद थे यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना. हालांकि इस कहानी की सत्यता के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है.


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