Mahabharat : अभिमन्यु को नहीं युधिष्ठिर को बंधक बनाने को रचा था चक्रव्यूह, लेकिन ऐन वक्त पर बदल दी थी गुरु द्रोण ने अपनी चाल
Mahabhart: महाभारत युद्ध में अर्जुन और सुभद्रा के बेटे अभिमन्यु की वीरता-वीरगति की कहानी आइए जानते हैं.
Mahabharat : महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन कौरव सेना का सर्वनाश करते हुए युद्ध खत्म कर देने पर आमादा थे. इस दौरान गुरु द्रोण ने देखा कि अर्जुन दूर निकल गए हैं तो उन्होंने युधिष्ठिर को बंधक बनाने को चक्रव्यूह रचना कर दी. इससे पांडव योद्धा-सैनिक घबरा गए. युधिष्ठिर को बंधक बनाने का अर्थ था पांडवों की हार.
पूरी पांडव सेना में सिर्फ अर्जुन को ही चक्रव्यूह भेदना आता था, ऐसे में युधिष्ठिर के पास आए अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने आकर कहा, बड़े पिताश्री, इस संकट का हल मैं दे सकता हूं, चक्रव्यूह तो भेदना जानता हूं, लेकिन बाहर निकलना नहीं. अगर हमारे योद्धा पीछे-पीछे चक्रव्यूह में आ जाएं तो वह मेरी रक्षा कर निकाल लाएंगे. इसके तहत अभिमन्यु व्यूह में घुसे लेकिन तभी गुरुद्रोण ने व्यूह बदल दिया. इस बार पहली कतार ज्यादा मजबूत कर दी, ऐसे में पीछे आ रहे भीम, सात्यकि, नकुल-सहदेव जैसे योद्धा भी अंदर नहीं घुस पाए। इस बीच अभिमन्यु चक्रव्यूह में और अंदर घुसते गए, लेकिन कोई भी उनकी रक्षा को पीछे नहीं आ सका. सभी प्रयास ही कर रहे थे, तभी कौरव योद्धा जयद्रथ ने आकर पांडवों को चक्रव्यूह में घुसने से रोकने के लिए घेराबंदी कर दी.
चक्रव्यूह के छठे द्वार पर दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण को किया ढेर
अब तक अभिमन्यु व्यूह के केंद्र में दाखिल हो चुके थे, जहां योद्धाओं की संख्या और कौशल बढ़ा नजर आया. यहां सभी योद्धा युद्ध नहीं करके बस खड़े हुए थे. अब तक अकेले व्यूहरचना तोड़ने से अभिमन्यु थकान से चूर हो चुके थे और उन्हें चक्रव्यूह से निकलने का ज्ञान भी नहीं था. अब तक अभिमन्यु चक्रव्यूह के छह चरण भेद चुके थे, इसी दौरान अभिमन्यु के हाथों दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण मारा गया.
अपने पुत्र का शव देखकर दुर्योधन बौखला गया और उसने युद्ध के सारे नियम कायदे किनारे रखते हुए कर्ण, द्रोणाचार्य समेत सात महारथियों के साथ अभिमन्यु को घेर लिया. इसके बावजूद अभिमन्यु पूरी ताकत से लड़ते रहे. मगर सातों ने मिलकर उनके रथ के घोड़े मार दिए. अभिमन्यु ने रथ के पहिए को रक्षा कवच बनाकर तलवार से लड़ाई जारी रखी, लेकिन शत्रुओं के ताबड़तोड़ वार से तलवार और रथ का पहिया दोनों टूट गए. अब अभिमन्यु पूरी तरह निहत्थे थे. नियमानुसार निहत्थे पर वार नहीं होना चाहिए था, लेकिन तभी पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर जयद्रथ ने तलवार का जोरदार प्रहार किया. बस फिर क्या था, एक के बाद एक सातों योद्धाओं ने वार पर वार शुरू कर दिए, जिससे अभिमन्यु वहीं वीरगति को प्राप्त हो गए.
बेटे की मृत्यु का समाचार अर्जुन को मिला तो वे जयद्रथ के वध करने के लिए निकले, तभी सूर्य ढल गया, ऐसे में युद्ध रुक जाना था, यह सोचकर सभी कौरव अट्टाहस करने लगे, तभी श्रीकृष्ण ने चतुराई दिखाई और बादलों की ओट से सूर्य को वापस बाहर ले गए, यह देखकर अर्जुन ने जयद्रथ को वहीं ढेर कर दिया.
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