Sawan 2021 : एक समय एक नगर में एक साहूकार का कोई संतान नहीं था, दुखी साहूकार पुत्र के लिए हर सोमवार व्रत रखता था. शिव मंदिर में पूजा से प्रसन्न मां पार्वती की इच्छा पर भगवान शिव ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया, साथ ही कहा कि बेटे की आयु बारह वर्ष ही होगी. साहूकार का पुत्र ग्यारह वर्ष का हुआ तो पढ़ने काशी भेजा गया. साहूकार ने उसके मामा को बुलाकर धन दिया और कहा कि तुम इसे काशी ले जाओ, रास्ते में जहां यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को भोजन कराते जाना. मामा-भांजे दान-दक्षिणा देते चल पड़े. रात को एक नगर में राजा की बेटी का विवाह था. मगर जिस राजकुमार से विवाह होना था, वह काना था. राजकुमार के पिता ने यह बात छुपाने को साहूकार के बेटे को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर विवाह करवा दिया.  



साहूकार का पुत्र ईमानदार होने से उसने राजकुमारी की चुन्नी पर सच्चाई लिख दी.  इस पर राजकुमारी के पिता ने पुत्री को विदा नहीं किया और बारात बैरंग लौट गई. उधर, साहूकार का बेटा मामा के साथ काशी पहुंच गया. जिस दिन उसकी आयु 12 साल हुई, उसी दिन यज्ञ रखा गया. मगर अचनक उसकी तबीयत बिगड़ गई और शिवजी के वरदान के अनुसार उसके प्राण निकल गए. भांजे को मृत देखकर मामा ने विलाप शुरू किया. उसी समय शिव-पार्वतीजी उधर से गुजरे तो पार्वती ने कहा कि स्वामी, मुझे इसका रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा है, आप इसके कष्ट दूर करिए.

शिवजी ने कहा, कि यह साहूकार का पुत्र है, जिसे 12 वर्ष आयु वरदान दिया था. इसकी आयु पूरी है, मगर पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने लड़के को जीवित कर दिया. पढ़ाई पूरी कर वह फिर मामा के साथ घर की ओर लौटा तो रास्ते में उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. यहां भी उसने पिता के कहे अनुसार यज्ञ किया. इस दौरान राजकुमारी के पिता ने उसे पहचान कर खूब खातिरदारी की और पहले पुत्री के साथ हो चुकी शादी का हवाला देकर उसके साथ विदा कर दिया.


सावन माह का महत्व
कहा जाता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. खासतौर पर सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है. जिनके विवाह में परेशानियां हैं, उन्हें शिवजी की कृपा से समस्याएं दूर होती हैं. पूरे माह शिव उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.


श्रावण पूजा का तरीका
सुबह जल्दी उठ जाएं. नित्यकर्म-स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें.
घर के मंदिर में दीप जलाएं. देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें.
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं, शिवजी को पुष्प अर्पित करें.
शिवजी को बेल पत्र अर्पित करें, आरती करें और भोग भी लगाएं.
ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं.


श्रावण मास में सोमवार 
पहला : 26 जुलाई 
दूसरा : 02 अगस्त    
तीसरा : 09 अगस्त    
चौथा : 16 अगस्त


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