स्त्री (Stree) को समाज के ज्ञान और विज्ञान का आधार माना गया है. यही कारण है कि हिंदू धर्म (Hindu Dharam) के प्राचीन ग्रंथों में स्त्रियों की महिमा और गुणों का उल्लेख मिलता है. आचार्य चाणक्य (Chanakya) ने भी स्त्रियों के गुणों की चर्चा की है, जो सैकड़ो साल बीत जाने के बाद भी प्रासंगिक लगते हैं. चाणक्य के बारे में सभी जानते हैं वे एक विद्वान, कुटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और सलाहकार भी थे. इन्हे कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं. स्त्री को लेकर चाणक्य द्वारा कौन सी विशेष बातें बताई गई हैं, जानते हैं-
स्त्री साहस की मूर्ति है
चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के अनुसार स्त्री में अपार शक्ति होती है. संकट आने पर जो स्त्री अपने पति, संतान, परिवार और कुल की रक्षा करती है, वो श्रेष्ठ कहलाती है. ऐसी स्त्रियां समाज और राष्ट्र को नई दिशा प्रदान करती हैं तथा देश के विकास में अपना विशेष योगदान प्रदान करती हैं.
स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा ।
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥
चाणक्य (Chanakya) कहते हैं कि स्त्री में पुरुषों की तुलना में अधिक भूख दो गुना है. लज्जा या शर्म चार गुना, साहस छह गुना और काम आठ गुना होती है.
स्त्रियों के बारे में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री को सदैव मीठे वचन बोलने चाहिए. आधुनिक परिवेश में स्त्रियों की भाषा बोली में गिरावट आई है जिस कारण समाज प्रभावित हो रहा है. स्त्री को गाली गलौज वाली भाषा का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए.
जिन महिलाओं में ये आदत होती है, उनका जीवन परेशानियों से भरा रहता है. दांपत्य जीवन में उत्साह और उमंग की कमी रहती है. ऐसी स्त्रियां तनाव और रोग से भी परेशान रहती हैं. गलत भाषा बोली से विचारों की शुद्धता प्रभावित होती है.
विचार शुद्ध न होने से मन मस्तिष्क पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. जिस कारण समय आने पर स्त्री अपनी कुशलता व शक्ति का सही प्रयोग नहीं कर पाती है. इस स्थिति में हीन भावना, तनाव की समस्या बढ़ने लगती है जो बाद में कई तरह के गंभीर रोगों को जन्म देती है.
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