जीवन में सफलता व्यक्तिगत वस्तु नहीं है. व्यक्तिगत सफलता की भावना से प्रभावित जन स्वांत सुखाय कार्य करते हैं. ऐसे लोग मन ही मन प्रसन्न तो रह सकते हैं लेकिन सफल नहीं कहे जा सकते हैं.
आपकी एक छोटी सी बात दूसरे के दिल में जगह बना लेती हैं, तो आप सफल हैं. जैसे- कोई मंत्र, सूत्र, स्लोगन और कविता इत्यादि का प्रभाव होना. इससे रचयिता क्षणभर में दुनिया में स्थान पा लेने लायक हो जाता है. इतिहास में दर्ज महान गाथाएं हमें उद्वेलित और आंदोलित करती हैं. इसी से सभी ऐतिहासिक पात्र सफल हैं. अमर हैं. भूत-भविष्य और वर्तमान में जीवंत से हैं.
महान स्थापत्य के भवन से लेकर छोटी बड़ी कलाकृतियां जब हमें आकर्षित करती हैं तो इनके पीछे के हुनरमंद लोग सफल कहलाते हैं. फिर चाहे इनका मूल्यांकन आर्थिक हो या अन्य किसी प्रकार से. योग्यता परीक्षा से तौली अवश्य जाती है लेकिन व्यक्ति की सर्वाेत्तम कसौटी लोगों के मध्य व्यक्ति की कार्यशैली और क्षमता ही होती है. इसी कारण इंटेलिजेंट कोशंट या कहें बुद्धिमत्ता से इमोशनल कोशंट अर्थात् भावनात्मकता अधिक प्रभावी सिद्ध होती है. यही कारण है कि जो लोग स्कूल-कॉलेज में मेधावी कहलाए जाते हैं वे समाज में फिसड्डी सिद्ध होते भी देखे गए हैं.
सफलता सर्वस्वीकार्यता का ही असली स्वरूप है. राजनीति में तेजी से उभरते नेताओं को जनता से मिलने वाले विश्वास से इसे देखा समझा जा सकता है. क्योंकि नेता से कहीं अधिक बुद्धिमान उसके नेतृत्व में कार्य कर रहे होते हैं.