सफलता की कुंजी : लाभ और विस्तार व्यापार के हैं दो चक्के
Safalata ki Kunji : व्यापार में सफलता की निरंतरता बनाए रखने के लिए जरूरी है, लाभ के साथ व्यवसाय को विस्तार देना. लाभ और विस्तार में से एक भी थमता है तो सफलता ठहर जाती है.
उद्योग और व्यापार में लाभ पर सभी का फोकस होता है. लाभ के लिए व्यक्ति दिनरात कार्य व्यापार में स्वयं को झौंके रहता है. मेहनत और लगन से अच्छा लाभ कमाता है. लाभ के साथ व्यापार के विस्तार पर भी व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए. व्यवसाय का विस्तार नहीं होने से लाभ का पहिया गति नहीं ले पाता है. विस्तार के लिए लाभ का उचित समायोजन अर्थात् निवेश की आवश्यकता होती है.
व्यापारी हो या उद्यमी उसके व्यवसाय की गाड़ी लाभ और उन्नति के दो चक्कों से ही सरपट दौड़ती है. और यह सरपट दौड़ ही व्यापार को सफलता और उछाल देती है.
केवल लाभ को फोकस कर एक व्यापार करने पर कभी भी व्यवसायी को अवरोध का सामना करना पड़ सकता है. अक्सर देखा होगा कि किसी व्यक्ति की एक दुकान जो सालों से अच्छी चल रही थी. अचानक आए बदलावों से कमजोर हो गई. ऐसे में व्यापारी के सामने मुश्किल खड़ी हो जाती है.
इसके विपरीत व्यवसायी लाभ को विस्तार की योजनाओं से जोड़ता है तो आकस्मिक आए अवरोधों से वह ज्यादा प्रभावित नहंी होता है. उसका व्यापार निरंतरता बनाए रखता है. उन्नति के पथ पर अग्रसर रहता है.
दुनिया की बड़ी कंपनियां उक्त फार्मूले पर ही कार्य करती हैं. वे लाभ को निवेश से जोड़ती जाती हैं. विश्वभर में जितनी भी बहुराष्ट््रीय कंपनियां हैं. उन्होंने इसी ढंग से स्वयं को आगे बढ़ाया है. यदि वे सिर्फ लाभ कमाने तक सोचतीं तो शायद ही वे कभी अपने मूल स्थान से निकलकर दुनिया में छा पातीं.