Success Mantra : भूत और भविष्य में नहीं व्यक्ति को वर्तमान का आनंद लेना चाहिए
श्रीमद्भागवत गीता में जीवन का सार छिपा हुआ है. जो व्यक्ति भगवान कृष्ण के इस सार को समझ लेता है वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है. जो व्यक्ति गीता के ज्ञान को जीवन में उतार लेता है. उसे कई प्रकार के कष्टों से निजात मिल जाती है.
Success Mantra: श्रीमद्भागवत गीता की महिमा से तो सभी परचित हैं. भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र में स्वयं अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था. गीता के महत्व को संपूर्ण विश्व मानता है. गीता के उपदेशों में जीवन की सफलता का मंत्र छिपा है तो शायद कहना गलत नहीं होगा. मान्यता है कि गीता का पाठ करने से भगवान कृष्ण का आर्शीवाद प्राप्त होता है. भगवान कृष्ण अपने भक्तों पर कभी कष्ट नहीं आने देते हैं. गीता का सार व्यक्ति को महानता की ओर ले जाता है. आइए जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता से आज का सक्सेस मंत्र-
आज का आनंद लो, कल की परवाह न करें
जो व्यक्ति भूत और भविष्य के फेर में ही फंसा रहता है वह अपना वर्तमान भी खराब कर लेता है. समझदार व्यक्ति हमेशा वर्तमान का आनंद लेता है. जो बीत गया सो बीत गया, कल की भी चिंता नहीं करनी चाहिए. क्योंकि जबतक आज यानि वर्तमान अच्छा नहीं होगा तब तक भविष्य अच्छा नहीं हो सकता है. इसलिए अच्छा यही है कि आज का आनंद लिया जाए.
आत्मा कभी नहीं मरती है
धन, वैभव, भोग विलास, पद प्रतिष्ठा सब कुछ व्यर्थ है. जो इस जंजाल में फंस जाता है वह प्रभु की भक्ति से दूर हो जाता है. कुछ भी साथ नहीं जाता है. सिर्फ आत्मा ही अजर अमर है. क्योंकि मानव का शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है. कुछ समय बाद ये शरीर इसी में विलीन हो जाएगा. लेकिन आत्मा कभी नहीं मरती है. ये तो स्थिर है. इसलिए आत्मभाव में रहना ही मुक्ति का मार्ग है.
सुख-दुख तो आता जाता रहता है
परिवर्तन संसार का सत्य है. संसार में कुछ भी स्थिर और स्थाई नहीं है यहां सबकुछ बदलता रहता है. पल पल बदलता रहता है. इसलिए मान सम्मान, हार जीत, लाभ हानि जीवन में आते जाते रहते हैं. इसमें लीन नहीं होना चाहिए. जीवन का आनंद एकभाव में है. सुख में न तो व्यक्ति को अति उत्साहित होना चाहिए और न हीं दुख में डूब जाना चाहिए.
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