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भगवान राम से सीखें त्याग और धैर्य, जीवन में सफल होने के लिए बहुत जरुरी है ये दोनों चीजें
Success Mantra: भगवान राम के जीवन से सफल होने की प्ररेणा मिलती है. भगवान राम के आर्दशों को जानने और समझने के बाद व्यक्ति के लिए कोई भी चीज असंभव नहीं रहती है. भगवान राम का जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा श्रोत है.
सक्सेस मंत्र: भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार हैं. अन्यास और असत्य को समाप्त करने के लिए भगवान राम ने इस धरती पर जन्म लिया. वे अयोध्या के राजा दशरथ के यहां जन्में. जन्म लेने के बाद उन्होने पग-पग पर ऐसे आर्दश प्रस्तुत किए जो व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धैर्यवान बनाने के लिए प्रेरित करते हैं.
सफल होने के लिए पहला गुण धैर्य ही है. जिस व्यक्ति ने अपने भीतर इस गुण को विकसित कर लिया वह दुखों पर विजय प्राप्त कर लेता है. जिस समय भगवान राम के राज्याभिषेक की तैयारी चल रही थी उसी समय उन्हें वनवास जाने का आदेश मिलता है. लेकिन भगवान राम बिल्कूल भी विचलित नहीं होते हैं और बड़ी प्रसन्नता के साथ ही वन गमन के लिए तैयार हो जाते हैं.
यहां पर भगवान राम के धैर्य की बहुत बड़ी मिसाल मिलती है. वन जाने का वे कतई दुख नहीं करते हैं, वे बड़ी ही सहजता और प्रसन्नता के साथ इस आदेश का पालन करने की स्वीकृ़ति देते हैं. उन्हें सत्ता और सिहांसन जाने का कतई अफसोस नहीं होता है. ये इतना बड़ा त्याग है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
व्यक्ति को भी हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. उसे हर परिस्थिति को प्रसन्नता के साथ स्वीकार करना चाहिए. दुख नहीं करना चाहिए. यह आर्दश गुण हैं. जिस व्यक्ति में त्याग और धैर्य की भावना होती है वह कभी दुखी नहीं रहता है. हर परिस्थिति में अपने को सहज पाता है और अपने कार्मों को निरंतर निखारता रहता है. जो ऐसा कर पाते हैं वही सफल कहलाते हैं.
चाणक्य नीति कहती है सुखार्थी के पास विद्या कहां और विद्यार्थी को सुख कहां