मरणासन्न बाली ने हाथ जोड़कर पूछा 'मैं बैरी सुग्रीव पिआरा,' तब भगवान राम ने दिया उसे ये जवाब
भगवान राम ने जब बाली का वध किया तो उसने प्रभु से हाथ जोड़कर बहुत गंभीर प्रश्न किया. इस प्रश्न का उत्तर देने में राम को एक पल का भी समय नहीं लगा. राम के इस उत्तर में बहुत बड़ी सीख भी छिपी है.
सक्सेस मंत्र: श्रेष्ठ बनने की चाहत सभी को है. लेकिन व्यक्ति अपने गुणों और आचरण से श्रेष्ठता को प्राप्त करता है. श्रेष्ठता त्याग और नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है. अगर ऐसा नहीं होता तो रामायण में बलशाली बाली का वध करने के लिए स्वयं प्रभु श्रीराम को धनुष नहीं उठाना पड़ता है. बाली वध से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है. जिसे हर व्यक्ति को जानना चाहिए और किसी भी तरह के पाप और अपराध से दूर रहना चाहिए.
बाली बहुत बलशाली था. उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था जिससे वह सामने वाले शक्ति ले लेता था. इस कारण लंकापति रावण भी उससे घबराता था. एक युद्ध में बाली ने रावण को बहुत बुरी तरह से परास्त किया और बगल में दबाकर पूरे महल के परिक्रमा की.
सुग्रीव बाली के भाई थे. लेकिन बाली ने सुग्रीव का सबकुछ छीन लिया और अपमान करके राज्य से भगा दिया. वन गमन के दौरान जब सुग्रीव की भगवान राम से भेंट हुई तो सुग्रीव ने अपनी पूरी पीड़ा प्रभु को बताई. प्रभु राम ने उन्हें सबकुछ वापिस दिलाने का वचन दिया. इसके लिए योजना बनाई गई. सुग्रीव को बाली के पास युद्ध करने के लिए भेजा.
शक्ति के मद में चूर बाली सुग्रीव से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया. इस दौरान उचित समय पाकर भगवान राम ने अपने बाण से बाली का वध कर दिया. बाण लगते ही बाली जमीन पर आ गिरा, प्रभु राम उसके सामने आ गए. प्रभु राम को देखकर जमीन पर पड़े बाली ने हाथ जोड़कर कहा -
धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं. मारेहु मोहि ब्याध की नाईं. मैं बैरी सुग्रीव पिआरा. अवगुन कवन नाथ मोहि मारा.
अर्थात 'हे गोसाईं, धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है और मुझे एक व्याध की तरह मारा. प्रभु बताओ मैं बैरी और सुग्रीव क्यों प्यारा है. हे नाथ आपने किस दोष की सजा दी है.'
तब प्रभु राम बाली के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं-
अनुज बधू भगिनी सुत नारी. सुनु सठ कन्या सम ए चारी. इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई. ताहि बधें कछु पाप न होई.
अर्थात भगवान राम बाली से कहते हैं 'हे मूर्ख, सुन छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या ये चारों समान हैं. इन्हें जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं.'