सक्सेस मंत्र: श्रीमद्भागवत गीता में सफलता का राज छुपा है. जो व्यक्ति गीता के सार को अपने जीवन में आत्मसात कर लेता है वह हर प्रकार के दुखों से मुक्ति पा लेता है. महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन दुविधा में फंस गए तब कुरूक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था. श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश में जीवन को जीने की कला छिपी हुई है ये कहना गलत नहीं होगा. गीता पढ़ने से मन को शांति मिलती है. गीता अच्छे और बुरे का भेद बताती है. जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता से आज का सक्सेस मंत्र...
क्रोध पर ऐसे पाएं काबू
क्रोध व्यक्ति का नाश कर देता है. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए. क्रोध में व्यक्ति अपना नियंत्रण खो देता है. आवेग में उसके द्वारा अनैतिक कर्म भी हो जाता है. क्रोध से दूर रहने के लिए व्यक्ति को प्रेम, ज्ञान और अध्यात्म की शरण में जाना चाहिए. अध्यात्म की शक्ति से व्यक्ति क्रोध पर काबू पा सकता है. प्रेम व्यक्ति को निर्मल बनाता है. जिसने प्रेम की शक्ति को पहचान लिया समझो उसने प्रभु को पा लिया. प्रभु को पाने का एक मात्र सरल रास्ता प्रेम ही है. क्रोध व्यक्ति की बुद्धि को भी नष्ट कर देता है. क्रोध करने से लोग दूर होने लगते हैं. क्रोधी व्यक्ति समाज में अकेला रह जाता है. क्रोध मनुष्य को मानव से दानव की श्रेणी में ले जाता है.
कार्य से पहले परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए
जो लोग कार्य करने से पहले ही परिणाम के बारे में सोचने लगते हैं वह कभी सफल नहीं होते हैं. व्यक्ति को सिर्फ अपना कर्म करना चाहिए. परिणाम की लालसा मन में नही रखनी चाहिए. व्यक्ति को पूरी ईमानदारी और नैतिकता से अपने कार्य को पूरा करना चाहिए. जब कार्य को अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से पूर्ण किया जाता है तो उसके परिणाम भी अच्छे आते हैं. इसलिए व्यक्ति को कार्य की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए. जो व्यक्ति ऐसा करते हैं वह कभी दुखी नहीं रहते हैं.
Success Mantra: भगवान कृष्ण के इस संदेश में छिपा है जीवन का आनंद