सक्सेस मंत्र: आज का गीता का सार, खुद सम्मान पाने से पहले दूसरों को सम्मान दें
श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों को जिसने भी अपने जीवन में उतार लिया उसके जीवन के सभी दुख और कष्ट मिट जाते हैं. जानते हैं आज का सक्सेस मंत्र (Success Mantra) क्या है.
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नई दिल्ली: श्रीमद्भगवत गीता में जीवन का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है. कुरूक्षेत्र में जब सारथी बनकर भगवन कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया तो उसे सुनकर अर्जुन को अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया और उन्होंने हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण से कहा कि प्रभु आपने तो जीवन का सार ही समझा दिया है. हर प्रकार की तृष्णाओं को मिटा दिया है. इस उपदेश को सुनकर ऐसा प्रतीत हो रही है कि आत्मा शुद्ध हो गई है. गीता के उपदेशों में में आत्मा की शुद्धि पर विशेष बल दिया गया है. गीता के उपदेश व्यक्ति को महान बनने के लिए प्रेरित करते हैं.
बड़ों का आर्शीवाद, छोटों का प्यार और मित्रों का स्नेह: जिसे अपने अग्रजों का आर्शीवाद, अनुजों का प्यार और मित्रों का स्नेह प्राप्त होता है वह समाज में सदा ही सम्मान प्राप्त करता है. ऐसे व्यक्ति समाज में अनुकरणीय बन जाते हैं. ऐसे लोग अपने आचरण से लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. व्यक्ति का यह चरित्र उसे लोकप्रिय और महान बनाता है. व्यक्ति को अपने जीवन में ऐसा व्यवहार और आचरण करना चाहिए जिससे उसे सदैव बड़ों का आर्शीवाद मिलता रहे, छोटे भी उसे प्यार करें और मित्रों-सखाओं का स्नेह मिलता रहे.
सम्मान पाने के लिए पहले सम्मान देना पड़ता है: सामने वाला व्यक्ति आपको सम्मान प्रदान करे इसके लिए सबसे पहले आपको भी उस व्यक्ति को सम्मान देना होगा. सम्मान देना सम्मान लेने की ही एक प्रकिया है. ये ठीक वैसा ही है जैसा वक्ता बनने से पहले अच्छा श्रोता बनना. जो दूसरों की नहीं सुनेगा तो भला उसकी कौन सुनेगा. इसी तरह से जब किसी को सम्मान देते हैं तो दूसरा भी आपको सम्मान देने के लिए बाध्य हो जाता है. दवाब में कराया गया सम्मान भविष्य में मुसीबत पैदा करता है. सम्मान पाने के लिए सदैव सही मार्ग अपनाना चाहिए.
मां व्यक्ति की प्रथम शिक्षक है: मां किसी भी व्यक्ति की पहली शिक्षक होती है. विद्यामंदिर और गुरूकुल में बच्चा उतना ग्रहण नहीं करता है जितना वह अपनी से ग्रहण करता है. इसलिए मां को हमेशा बच्चों के सामने उच्च आर्दश प्रस्तुत करना चाहिए. वही परिवार तरक्की करता है जिसमें स्त्रियां आधिक जागरूक और आर्दश होती हैं. ऐसी माताओं के पुत्र हमेशा इतिहास रचते हैं. ऐसी माताओं के पुत्रों को ये धरती युगों युगों तक याद रखती है. जो मां अपने बच्चों में नैतिक गुणों को विकसित नहीं कर पाती है, ऐसी मां को पुत्र की असफलता पर कष्ट सहना पड़ता है. मां ही बच्चे में अच्छे संस्कार डालती है जो राष्ट्र के निर्माण में एक अहम भूमिका निभाते हैं.
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