शनिदेव सौरमंडल के सबसे सुंदर ग्रह हैं. इनका अपना उपग्रह चक्र है. पिता सूर्य की तरह ही उनके भी कई पिंड परिक्रमा करते हैं. पिता सूर्यदेव के कई गुण शनिदेव में हैं. सूर्य के प्रकाश से जग में आलोक होता है. शनिदेव की दृष्टि से लोगों के जीवन के सारे सत्य उजागर हो जाते हैं. 


सूर्यदेव ग्रहों के पालक संरक्षक और भाग्यविधाता हैं. शनिदेव ग्रहों के रहवासियों के भाग्यदाता हैं. सूर्य 30 दिन में एक राशि पर भ्रमण करते हैं. शनिदेव 30 माह एक राशि पर रहते हैं. सूर्य की गति कई गुना ज्यादा होने से ही शनिदेव को वक्री गति प्राप्त होती है. वक्री गति शनिदेव के लिए पिता का आशीर्वाद है. इससे शनिदेव थोड़े समय के लिए अत्यधिक प्रभावशाली हो जाते हैं. लोगों के जीवन में भाग्य की गतिविधियों का प्रभाव बढ़ जाता है.


आगामी 23 मई 2021, रविवार को शनिदेव दिन में 2 बजकर 50 मिनट पर वक्री गति आरंभ करेंगे. रविवार को वक्री गति के प्रभाव से शनिदेव विश्व में सूर्य प्रकाश की भांति बुराईयों, रोगों और दोषों का नाश करेंगे. शनिदेव मकर राशि में 141 दिन उलटी चाल चलेंगे. 11 अक्टूबर 2021 को मार्गी होंगे. शनिदेव की उलटी चाल से सभी राशि के जातकों के जीवन में घटनाक्रम तेज होगा. सीधी चाल के दौरान बने अवरोध समाप्त होंगे. मकर राशि के वक्री शनि लगभग सभी राशियों के लिए हितकर रहेंगे. शनिदेव स्वयं की राशि मकर में रहकर जग का कल्याण करेंगे.