Surdas Jayanti 2024: कृष्ण भक्त संत सूरदास का जन्म वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल सूरदास जयंती 12 मई 2024 रविवार को है, ये उनकी 546वीं जन्म वर्षगांठ होगी.


संत सूरदास बज्रभाषा एक महान कवि और संगीतकार थे, जो भगवान कृष्ण को समर्पित अपने भक्ति गीतों के लिए विश्व विख्यात हैं. माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने स्वंय सूरदास जी को दर्शन दिए थे. आइए जानते हैं सूरदास जी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.


जन्म - सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में हुआ था हालांकि इनके जन्म स्थान को लेकर कई मत है. एक मान्यता अनुसार रुनकता नामक गांव (मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है) तो दूसरे मत के मुताबिक सूरदास जी हरियाणा के सीही गांव में जन्में थे.इनके पिता रामदास गायक थे.


जन्म से दृष्टिहीन - पौराणिक मान्यता है कि सूरदास जन्मान्ध थे, अर्थात वह जन्म से ही देख नहीं सकते थे. इनके काव्य में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन इस प्रकार मिलता है जैसे महाकवि सूरदास जी ने स्वयं भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं देखी हों.


ऐसे जली कृष्ण भक्ति की अलख - सूरदास जी ने 6 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और वह कुछ दिन आगरा के पास गऊघाट पर रहने लगे. वहीं उनको श्रीवल्लभाचार्य मिले और सूरदास उनके शिष्य बन गए. गुरु वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग की दीक्षा दी और श्रीकृष्ण लीला के पद गाने को कहा, इसके बाद तो वह पूरी तरह कृष्ण को समर्पित हो गए.


श्रीकृष्ण ने दिए दर्शन- सूरदास जी भले ही देख नहीं सकते थे लेकिन उनके काव्य में जो सजीवता का भाव नज़र आता है वह अद्भुत है. मान्यता है कि सूरदास जी की भक्ति से प्रसन्न होकर कृष्ण ने उन्हें अंतर्मन में दर्शन दिए थे.  


सूरदाज जी की रचना - सूरसागर, सूरसारावली, ब्याहलो, साहित्य-लहरी, नल-दमयंती


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