Surya Dev Puja Arghya Niyam: हिंदू धर्म में सूर्य देवता ऐसे देव हैं जिन्हें सृष्टि में प्रकाश और ऊर्जा का स्त्रोत माना गया है. सूर्य देव से ही संसार में प्रकाश है. इसके साथ ही सूर्य देव को स्वास्थ्य, पिता और आत्मा का भी कारक माना गया है. इनकी पूजा करने और अर्घ्य देने से कष्टों से मुक्ति मिलती है.
शास्त्रों में बताया गया है कि, नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करने और जल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाने के कुछ जरूरी नियम होते हैं,जिनका पालन सभी को करना चाहिए. आइये जानते हैं सूर्य देव को कैसे, कब और कितनी बार चढ़ाना चाहिए जल.
सूर्य देव को कितनी बार चढ़ाएं जल (Surya Arghya Niyam)
शास्त्रों में बताया गया है कि, सूर्य देव को सुबह तांबे के कलश से तीन बार जल चढ़ाना चाहिए. सबसे पहले एक बार अर्घ्य दें और परिक्रमा करें, फिर दूसरी बार अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और तीसरी बार अर्घ्य देकर फिर से परिक्रमा करें और धरती को स्पर्श करें. यानी सूर्य देव को बारी-बारी से तीन बार अर्घ्य देकर तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए.
सूर्य देव को कब दें अर्घ्य (Surya Arghya Time)
हमेशा उगते हुए सूर्य को ही अर्घ्य देने की परंपरा है. केवल महापर्व छठ में ही डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसलिए सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें. उगते सूर्य को अर्घ्य देने फलदायी माना जाता है. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले जल में रोली, लाल फूल और अक्षत डाल लें. इस बात का भी ध्यान रखें कि सूर्य देव को जल चढ़ाते समय आपका मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए और जल के छीटें आपके पैरों में पड़े.
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय करें इन मंत्रों का जाप ( Surya Arghya mantra) )
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर
- ऊं ब्रह्म स्वरुपिणे सूर्य नारायणे नमः
- ॐ आरोग्य प्रदायकाय सूर्याय नम:
- ॐ घ्राणि सूर्याय नम:
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