Surya Shubh Yoga: सूर्य के ये 3 शुभ योग बदल देते हैं इंसान की किस्मत, जानें कब देते हैं लाभ
Surya Shubh Yoga Significance: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का विशेष महत्त्व है. कुंडली में सूर्य के कुप्रभाव से व्यक्ति का पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. आइये जानें सूर्य के इन 3 योग के असर के बारे में.
Surya Shubh Yoga Significance: ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा माना जाता है. व्यक्ति की कुंडली में इनके नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. पिता, राज्य, राजकीय सेवा, मान सम्मान, वैभव से इसका संबंध होता है. इसके अलावा व्यक्ति के विभिन्न शारीरिक अंगों जैसे – आंख, पाचन तंत्र और हड्डियों से भी इसका संबंध होता है.
कुंडली में सूर्य की मजबूत स्थिति से जातक अपने जीवन में मान-सम्मान, वैभव, सुख-संपदा, धन संपत्ति आदि प्राप्त करता है. वहीं इनकी कमजोर स्थिति से व्यक्ति निर्धन हो जाता. उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है. व्यक्ति के जीवन में करीब-करीब ये सारे शुभ प्रभाव सूर्य के इन तीन योग से संचालित होते है. आइये जानें सूर्य के इन तीन योग के बारे में.
सूर्य का पहला शुभ योग - वेशि
कुंडली में सूर्य के अगले घर में चन्द्रमा, राहु या केतु ग्रह को छोड़कर कोई ग्रह स्थित होता है तो वेशि योग बनता है. इस वेशि योग का लाभ व्यक्ति को तभी मिलता है जब सूर्य की स्थिति कुंडली में मजबूत हो और यह पाप ग्रहों से युक्त न हो. इस योग के होने पर व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है और यह बहुत ही धनवान होता है. हालांकि ऐसे लोगों का आरंभिक जीवन काफी कठिनाई भरा होता है, परन्तु बाद में आगे चलकर इस योग से युक्त व्यक्ति खूब धन संपत्ति और यश अर्जित करता है. ऐसे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सचेत रहना होता है.
सूर्य का दूसरा शुभ योग- वाशि
कुंडली में सूर्य के पिछले घर में किसी ग्रह के होने पर वाशि योग बनता है. लेकिन इन ग्रहों में चन्द्र, राहु या केतु ग्रह नहीं होने चाहिए. इसके साथ ही सूर्य को किसी पाप ग्रह से युक्त नहीं होना चाहिए. ऐसी स्थिति होने पर ही वाशि योग का लाभ प्राप्त हो पाता है. वाशि योग के प्रभाव से व्यक्ति बुद्धिमान, ज्ञानी और धनवान बनता है. व्यक्ति बहुत ही शान-शौकत से रहता है. ऐसे व्यक्ति को बहुत बार विदेश यात्राएँ करने का अवसर मिलता है और घर से दूर जाकर खूब सफलता प्राप्त करता है. इस योग से युक्त व्यक्ति को सूर्य देवता पर जल जरूर चढ़ाना चाहिए.
सूर्य का तीसरा शुभ योग- उभयचारी योग
जब सूर्य के पहले और पिछले दोनों भाव में ग्रह होते हैं तो उभयचारी योग बनता है, लेकिन इनमें चन्द्र, राहु या केतु ग्रह नहीं होने चाहिए. तभी उभयचारी योग का लाभ जातक को मिल पाता है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति बहुत उचाई तक पहुंच जाता है. यह हर समस्या से बाहर निकल जाता है. राजनीति या प्रशासन के क्षेत्र में व्यक्ति को बहुत ऊंचा पद प्राप्त होता है. इस योग से युक्त व्यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त करता है. ऐसे जातक को रविवार के दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए.