Mahima Shani Dev ki : शनिदेव के वाहन कौआ जंगल में शनिदेव और यम के बीच छिड़े संग्राम की सूचना देने सूर्यमहल (Suryamahal) में दाखिल होता है. वहं दाकिल होते ही वो सूर्यदेव के ताप से गिर पड़ता है. सूर्यदेव उससे बिना आज्ञा आने की वजह पूछते हैं तो वह सकपका उठता है, तभी वहां मां छाया (Machhaya) आ जाती हैं और वह सारी बातें बयां कर देता है.


दोनों पुत्रों के बीच युद्ध की स्थिति पर मां छाया भयभीत हो उठती हैं. इधर सूर्यदेव भी पुत्र यम की सुरक्षा के लिए चिंतित हो उठते हैं. वह शनिदेव को भस्म करने के लिए जंगल निकलने वाले होते ही हैं कि मां छाया शनि को बचाने के लिए उनकी राह रोक लेती हैं. वह चेतावनी देती हैं कि अगर सूर्यदेव शनि को मारने के लिए जाते हैं तो पहले उन्हें उनके अपनी पत्नी के प्राण लेने होंगे. यह सुनकर सूर्यदेव धर्मसंकट में पड़ जाते हैं.


पत्नी की जिद के आगे मजबूर होकर सूर्यदेव शनि को अपने ताप में आने पर भस्म होने का दिया गया श्राप वापस ले लेते हैं. मगर सूर्यदेव छाया को ये चेतावनी भी देते हैं कि शनि को श्रापमुक्त करके भी वह कभी अपनाएंगे नहीं और वह कभी सूर्यमहल में नहीं आ सकेंगे. इतने में कौआ मां छाया को लेकर जंगल की ओर उड़ जाता है, जहां शनिदेव और यम के बीच युद्ध चल रहा होता है.


मां के अपमान से भड़के शनिदेव यम का वध करने जा ही रहे थे कि मां छाया आकर उन्हें रोक देती हैं, वह उन्हें बताती हैं कि यम कोई और नहीं बल्कि सूर्यदेव के पुत्र और उनके भाई हैं. यह सुनकर शनिदेव यम को छोड़ देते हैं. तब तक खुद सूर्यदेव वहां पहुंच जाते हैं, जो शनिदेव को श्रापमुक्त होने के बावजूद सूर्यमहल में दाखिल न होने की हिदायत देते हैं. अब तक मां से अपनी छिपी पहचान जानकर शनिदेव सोच में पड़ जाते हैं.


ये भी पढ़ें
Mahima Shanidev ki : मां के लिए शनि, यम में छिड़ा संग्राम, जानिए कौए ने कैसे रुकवाया युद्ध


Mahima Shanidev ki : कौए को शनिदेव का वाहन बनने से पहले देनी पड़ीं थी कई परीक्षाएं