Mahima Shani Dev ki : सूर्यलोक से हर रात पुत्र शनि से मिलने के लिए मां छाया जाती थीं. जब ये बात इंद्रदेव (Indradev) को पता चली तो वह हैरान रह गए. पूर्व में ही परास्त गंधर्वों ने उन्हें बता दिया था कि कर्मफलदाता (Karmafaldata) के तौर पर उत्पन्न शक्ति का सूर्यलोक के जंगल में ही वास है. उस पर कब्जे की नीयत से इंद्र हर जगह प्रयास कर रहे होते हैं, तभी एक दिन उन्हें सूर्यदेव के महल में यम की बातें सुनकर पता चल जाता है कि मां संध्या यानी छायाहर शाम आराधना के बहाने महल के बाहर जंगल जाकर सूर्योदय से पहले लौटती हैं. खुद देवराज होने के दंभ में इंद्र सूर्यदेव से इसका कारण पूछने सूर्यलोक पहुंच जाते हैं.


देवराज सूर्यदेव को इंगित करते हुए पत्नी संध्या के चरित्र को लेकर चर्चाएं होने और सूर्यदेव की ख्यति को चोट पहुंचने की चेतावनी देेने लगते हैं. यह सुनकर सूर्यदेव आपे से बाहर हो उठते हैं. सूर्यदेव इंद्रदेव को मित्रता की सीमा का वास्ता देकर चेतावनी देते हैं कि हर रिश्ते को मर्यादा में रहना जरूरी है. ऐसे में घनिष्ठ मित्र को भी मित्र के साथ रिश्ते में मर्यादा का पूरा पालन करना जरूरी है. वह उन्हें चेतावनी देते हैं कि  ऐसा न करने पर वह उन्हें भस्म कर देंगे. सूर्यदेव के रौद्र रूप से सहमे इंद्रदेव को वहां से उल्टे पांव लौटना पड़ता है.


निगरानी को लगाए गुप्त नेत्र 
सूर्यदेव से अपमानित होने के बाद तिलमिलाए इंद्र पूरे मामले को जाने बगैर हटने से राजी नहीं हुए, लेकिन सूर्यदेव के भस्म करने की चेतावनी के बाद इंद्र ने लौटने का फैसला किया. इससे पहले उन्हें सूर्यमहल के हर कोने में गुप्त नेत्र लगा दिए, जिससे महल की हर गतिविधि की जानकारी लेते रहें, इसका खुलासा होने पर उन्हें एक बार फिर शर्मिंदगी झेलनी पड़ी.


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