राम मंदिर निर्माण शुरू होने में अब कुछ ही वक्त बाकी है. 5 अगस्त को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि स्थान पर भूमि पूजन के साथ ही मंदिर का शिलान्यास होगा और शुरू हो जाएगा भव्य मंदिर का निर्माण, जिसका सपना देश-विदेशों में मौजूद करोड़ों राम भक्तों ने कई दशकों तक देखा. मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने वाले भगवान राम सिर्फ भारतीय संस्कृति तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि भारत के आस-पास के कई देशों में भी उनका स्मरण होता है और उनकी कथाओं का गुणगान होता है.


भारत के आस-पास थाईलैंड, मलेशिया, लाओस, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी भगवान राम की कथाओं का वर्णन और मंचन अक्सर होता रहता है. इन सब देशों में थाईलैंड सबसे खास है, जहां राम, रामायण और अयोध्या के ही समान प्रतीक और स्थल मौजूद हैं.


थाईलैंड में रामायण जैसा ग्रंथ, अयोध्या जैसा नगर


दरअसल, थाईलैंड में भगवान राम की कहानी रामायण का स्थानीय स्वरूप मौजूद है. इसे रामाकीन या रामाकियेन कहा जाता है. इसका अर्थ है राम की कीर्ति. इस ग्रंथ में भगवान राम, लक्ष्मण, माता सीता और महाबली हनुमान का जिक्र है. यह ग्रंथ काफी हद तक वाल्मीकि रामायण के जैसा ही है, बस कुछ हिस्सों में इसका चित्रण अलग है. इसे थाईलैंड की संस्कृति के प्रमुख ग्रंथ का दर्जा हासिल है.


इसके अलावा अयोध्या के समान ही वहां भी एक शहर है- अयुत्थ्या. 15वीं-16वीं सदी के वक्त यह शहर देश (सियाम) की राजधानी था, लेकिन बाद बर्मा की सेना के आक्रमण से तबाह हो गया था. हालांकि, कुछ सालों बाद जब बर्मा के सैनिकों को यह स्थान छोड़ना पड़ा तो इसे दोबारा बसाने की शुरुआत ही.


इतना ही नहीं, इस देश में शासन करने वाले चक्री वंश के राजा को राम प्रथम कहा गया और उसके बाद से यही वंश यहां शासन करता आ रहा है. थाईलैंड के एक प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर में भी रामाकीन की तस्वीरें हैं. इसके अलावा 2018 में अयोध्या में राम मंदिर का आंदोलन और मुकदमा लड़ने वाले पक्ष राम जन्मभूमि न्यास ने यहां भव्य राम मंदिर निर्माण की शुरुआत की थी, जो जारी है.


कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया में भी असर


इसी तरह कंबोडिया में भी श्री राम का अपना महत्व है. वहां भी रामकथा का प्रमुख स्थान है. थाईलैंड की ही तरह कंबोडिया में भी रामायण का स्थानीय संस्करण है जिसे रिएमकार कहा जाता है. यहां भी बौद्ध और हिंदू धर्म के मिले-जुले अंश पाए जाते हैं.


इसी तरह दुनिया में सबसे ज्यादाम मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में भी रामायण का कई बार मंचन होता है. खासतौर पर कठपुतलियों के जरिए रामायण का मंचन बेहद सामान्य है और यहां का हिस्सा है. यहां भी रामकथा का एक रूप काकाविन रामायण ग्रंथ के रूप में मिलता है, जो कई सदियों से इस देश का हिस्सा है. हालांकि, इसमें स्थानीय देवी देवताओं के अनुसार कुछ बदलाव भी हैं.


इनके अलावा मलेशिया, लाओस, नेपाल जैसे देशों में भी रामायण या राम से जुड़े अंश वहां की सांस्कृतिक ग्रथों और जातक कथाओं में मिल जाते हैं. मलेशिया में तो कई मुस्लिम लोग अपने नाम के साथ राम शब्द का इस्तेमाल करते हैं.


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