Jyotirlinga : सोमनाथ में प्रथम ज्योतिर्लिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की थी
श्रावण मास में महादेव के ज्योतिर्लिंगों का दर्शन, स्मरण बेहद शुभ और मनवांछित फलदायी माना गया है.
Jyotirlinga : चातुर्मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है. चातुर्मास में सावन का संपूर्ण महीना शिव को समर्पित है. माना जाता है कि श्रावण मास में जो मानव रोज सुबह इस ज्योतिर्लिंग के नाम का जाप करता है, उसके सभी पाप खत्म हो जाते हैं और वह बैकुंठ का फल भोगता है.
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात में काठियावाड़ स्थित प्रभास में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने नर लीला खत्म किया. सोमनाथ के शिवलिंग की स्थापना खुद चंद्रमा ने की थी. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को विशेष महत्व प्रदान किया गया है. चंद्रमा द्वारा शिवलिंग की स्थापना किए जाने के कारण ही इसे सोमनाथ कहा गया है.
कथाओं के अनुसार प्रजापति दक्ष ने 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा से किया था. रोहिणी दक्ष की सभी कन्याओं में सबसे अधिक सुदर थी. चंद्रमा रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे. इस बात से दक्ष की दूसरी पुत्रियां रोहिणी से बैर रखने लगीं. यह बात प्रजापति दक्ष को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर चंद्रमा को धीरे-धीरे क्षीण (खत्म) होने का श्राप दे दिया.
इससे मुक्ति के लिए ब्रह्मा ने चंद्रमा को प्रभास क्षेत्र में शिव की तपस्या करने को कहा. चंद्रमा ने सोमनाथ में ही शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की. प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें शाप मुक्त कर अमरत्व का वरदान दिया. शंकर के वरदान के कारण चंद्रमा कृष्ण पक्ष को एक-एक कला क्षीण (खत्म) होता है और शुक्ल पक्ष को एक-एक कला बढ़ता है. हर पूर्णिमा वह पूर्णता प्राप्त करता है. शाप मुक्ति के बाद चंद्रमा ने शिवजी को मां पार्वती संग सोमनाथ में ही रहने की प्रार्थना की. तब से भगवान शिव सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते हैं.
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