Janmastami 2021 : वासुदेव कृष्ण ने बालकाल से अंतिम क्षणों तक धर्म, अनुशासन, क्रांति और जीवन में जरूरी बदलावों के कई उदाहरणों के साथ पूरे जीवन को साकार किया है. वह हर मोर्चे पर क्रांतिकारी विचारों से भरेपूरे रहे. वह भी खींची गई लकीर पर चलने के बजाय मौके की जरूरत के हिसाब से भूमिका बदलते रहे. वह द्वारिका के राजा होते हुए भी महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के सारथी बने और दुर्योधन की ओर से खड़ी अपनी ही सेना के खिलाफ रहे.
मुश्किल में साथ न छोड़ें
कृष्णजी ने पांडवों का साथ हर मुश्किल साथ दिया. साबित किया कि अच्छे दोस्त वही होते हैं, जो कठिन परिस्थिति में साथ देते हैं. दोस्ती में शर्तों के लिए जगह नहीं है, इसलिए ऐसे ही दोस्त रखने चाहिए जो मुश्किल परिस्थिति में संबल बनें.
हमेशा सीखने की आदत बनाएं
महाभारत के सबसे बड़े योद्धा अर्जुन ने ना सिर्फ गुरु से सीख लिया बल्कि अनुभवों को भी मुश्किल समय में हथियार बनाना जाना. यह सीख हर विद्यार्थी के लिए जरूरी है. उन्हें शिक्षक के अलावा अपनी गलतियों और असफलताओं से भी सीखना चाहिए.
कुशल रणनीति
महाभारत में पांडवों के पास भगवान कृष्ण की कुशल रणनीति नहीं होती तो वह कौरवों से कभी जीत नहीं पाते. इसलिए आधुनिक दौर में भी परीक्षा के लिए रणनीति बनाना जरूरी है.
हिम्मत न हारें
कृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि मुसीबत के समय या सफलता न मिलने पर हिम्मत नहीं छोड़नी है. हार की वजहों को जानकर बढ़ना चाहिए. एक बार डर पार कर लिया तो फिर जीत तय होगी.
रिश्तों में ओहदा न लाएं
कृष्णजी ने मित्र सुदामा की गरीबी देखी तो उसके घर पहुंचने से पहले ही झोपड़ी को महल बना दिया. इसलिए कहते हैं कि दोस्ती कृष्ण से करनी सीखनी चाहिए और रिश्तों में कभी ओहदे को बीच में नहीं लाना चाहिए.