Chandra Grahan 2021: 19 नवंबर को भारत में आंशिक चंद्रग्रहण लगने से सूतक काल नहीं लगेगा. यह ग्रहण अरुणाचल प्रदेश और असम के चरम उत्तर-पूर्वी हिस्सों से चंद्रोदय के ठीक बाद बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और उत्तरी यूरोप में यह पूरी तरह नजर आएगा. अंतिम चंद्र ग्रहण IST (भारतीय मानक समय) सुबह 11:34 बजे से शाम 05:33 बजे तक छह घंटे रहेगा.


क्या है चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है और जब तीनों वस्तुएं संरेखित होती हैं. यह भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम के चरम उत्तर-पूर्वी हिस्सों से दिखाई देगा. अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में भी चंद्र ग्रहण का अनुभव होगा। यह चंद्र ग्रहण 2021 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण होगा.


आंशिक चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण तीन होते हैं: उपछाया ग्रहण, जब चंद्रमा केवल पृथ्वी के उपछाया को पार करता है. आंशिक ग्रहण, जब चंद्रमा आंशिक रूप से पृथ्वी की छाया की प्रच्छाया (छाया का गर्भ या केंद्र) में आ जाता है और पूर्ण ग्रहण, जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया की प्रच्छाया में आ जाता है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, 21वीं सदी में पृथ्वी पर 228 चंद्र ग्रहण होंगे. मगर चंद्र ग्रहण साल में अधिकतम तीन बार ही हो सकता है.


कैसे प्रभाव को करें बेअसर
चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण काल में स्पर्श वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए धो देना चाहिए और खुद भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए. सूर्य या चन्द्र ग्रहण पर शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए. 


1. चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं. ग्रहण के दौरान खाने पर भी पाबंदी है. ग्रहण खत्म होने पर स्नान-दान की परंपरा है.
2. चंद्र ग्रहण के समय भोजन में तुलसी पत्तियां डाल देनी चाहिए. कुशा घास भी डाल सकते हैं. इससे खतरनाक ऊर्जा का प्रभाव खत्म होता है. दूध, भोजन और जल में तुलसी पत्ते डालने से ग्रहण बेअसर हो जाता है.
3. ग्रहण के दौरान मंदिर के दरवाजे और पर्दे बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए. चंद्रमा संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए.
4. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है, दान के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए.
5. ग्रहणकाल में भोजन से बीमारियां पनपती हैं, मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ग्रहणकाल की किरणें शरीर को कमजोर करती हैं. इनसे बचने के लिए ग्रहण काल में बाहर नहीं निकलना चाहिए. 
6. ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं एक नारियल अपने पास रखें. इससे ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता. ग्रहण काल में जप, ध्यानादि करती रहें. ईष्ट देव के मंत्रों का मन ही मन जाप करना चाहिए.


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