Sawan 2021 : बेल पत्र यानी बिल्वपत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय हैं. कहा जाता है कि यह पत्र शिव का मस्तिष्क शांति रखते हैं और मन को शांति देते हैं. इन्हें बिल्बपत्र भी कहा जाता है. ईश्वर प्रकृति की रक्षा के बारे में सदैव चिंतित रहते हैं लिहाजा, उन्हें अपर्ण किए जाने वाले पत्र, पुष्पों का प्रयोग विधान भी प्रकृति की रक्षा पर बल देता है. 


कब नहीं तोड़ना चाहिए बेल पत्र 
ध्यान रखिए कि हिन्दी माह की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों, संक्रांति और सोमवार को बेलपत्र बिल्कुल नहीं तोडऩा चाहिए. आप इन तिथियों को पहले से टूटे बेल पत्रों को शिव पर अर्पित कर सकते हैं. 


इस तरह तोड़ें बेलपत्र 
इन्हें तोडऩे का विधान भी प्रकृति की रक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ध्यान रहे बेलपत्र तोड़ते समय सिर्फ पत्तियों को तोड़ना चाहिए ताकि पेड़ की टहनियों को कोई नुकसान न होने पाए. 


अभिषेक के समय ध्यान रखें
शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते वक्त इस बात का ख्याल रखना है कि पत्रों का चिकना हिस्सा नीचे हो. बेलपत्र बिना चक्र, वज्र का होना चाहिए. बेलपत्र 3 से 11 पत्र तक का हो सकता है. ज्यादा पत्र वाला बेलपत्र अच्छा माना जाता है. यह पत्र कभी बासी नहीं होता, अगर आपके पास बेलपत्र नहीं है तो दूसरे के द्वारा चढ़ाए गए बेल पत्र को धोकर दोबारा शिव को अर्पित कर सकते हैं. बस बेल पत्र का अनादर नहीं करना चाहिए.   


इसलिए शिवजी को बेल पत्र है प्रिय 
बेलपत्र का वृक्ष माता पार्वती के पसीने से उपजा था. स्कंद पुराण में इस कथा का वर्णन है. एक बार माता पार्वती के माथे पर पसीना आया और पीसने के बूंद मंदार पर्वत पर गिर गईं. वहीं बेल पत्र का वृक्ष उत्पन्न हो गया. कहते हैं कि बेल पत्र के वृक्ष पर पांच देवियों गिरिजा, महेश्वरी, दक्षयानी, पार्वती और माता गौरी का वास है.


इन्हें पढ़ें
Sawan 2021 : शिवजी की कृपा से रावण ने रचे थे ये महाग्रंथ



Hariyali Teej 2021: हरियाली तीज आज, पूजन के दो शुभ मुहूर्त