हिंदू धर्म में इन 10 वृक्षों को माना जाता है पवित्र, जानें इनका धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म का प्रकृति से गहरा नाता है. वृक्षों को हिंदू धर्म में पूजा जाता है. वृक्ष लगाने को भी पुण्य माना जाता है. धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष सहित प्रकृति के सभी तत्वों के महत्व की विवेचना की गई है.
हिंदू धर्म का प्रकृति से गहरा नाता है. वृक्षों को हिंदू धर्म में पूजा जाता है. वृक्ष लगाने को भी पुण्य माना जाता है. धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष सहित प्रकृति के सभी तत्वों के महत्व की विवेचना की गई है. मान्यता है कि जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है. हम आपको ऐसे दस वृक्षों के बारे में बता रहे हैं जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है.
पीपल: हिंदू धर्म में पीपल का बहुत महत्व है. पीपल के वृक्ष में जड़ से लेकर पत्तियों तक देवी-देवताओं का वास होता है. गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, 'हे पार्थ वृक्षों में मैं पीपल हूं.' पीपल के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोपल तथा लाख सभी बहुत काम आते हैं.
बरगद या वटवृक्ष : पीपल के बाद हिंदू धर्म में बरगद को बहुत महत्व है. पौराणिक मान्यता के अनुसार बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास माना गया है. बरगद को साक्षात शिव भी कहा गया है. बरगद को देखना शिव के दर्शन करना है.
आम का पेड़: आम का फल दुनियाभर में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. लेकिन हिंदू धर्म में अनुयायियों के लिए आम के पेड़ का धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ी लगाई जाती है. धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है.
खेजड़ी का पेड़: हिंदू धर्म में शमी या खेजड़ी के वृक्ष की भी पूजा की जाती है. दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा रही है. लंका विजय से पूर्व भगवान राम द्वारा शमी के वृक्ष की पूजा का उल्लेख मिलता है. पांडवों द्वारा अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष इसी पेड़ में छुपाए जाने के उल्लेख मिलते हैं. शमी या खेजड़ी के वृक्ष की लकड़ी यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती है. वसन्त ऋतु में समिधा के लिए शमी की लकड़ी का प्रावधान किया गया है.
बिल्व वृक्ष: बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है. हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है व मान्यता है कि इसके मूल यानि जड़ में महादेव का वास है तथा इनके तीन पत्तों को जो एक साथ होते हैं उन्हे त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं परंतु पाँच पत्तों के समूह वाले को अधिक शुभ माना जाता है, अतः पूज्य होता है.
अशोक का पेड़: हिन्दू धर्म में अशोक वृक्ष को पवित्र और लाभकारी माना गया है. मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है. मान्यता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है.
नारियल का वृक्ष: हिंदू धर्म में नारियल का बहुत महत्व है. नारियल हिंदू धर्म के सभी पूजा-पाठ का जरूरी हिस्सा है. पूजा के दौरान कलश में पानी भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है. यह मंगल प्रतीक है. नारियल का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है. नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल,पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं. महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोआ में भी इसकी उपज होती है.
नीम का वृक्ष: नीम का पेड़ सदियों से भारत में पाया जाता रहा है. यह पेड़ पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में भी पाया जाता है. नीम में चमत्कारी औषधीय गुण होते हैं. नीम को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. इसके कहीं कहीं नीमारी देवी भी कहते हैं. नीम की पेड़ की पूजा की जाती है.
केले का पेड़: हिंदू धर्म के धार्मिक कार्यों में केले का प्रयोग किया जाता है. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है. केले के पत्तों पर प्रसाद बांटा जाता है.
अनार: पूजा के दौरान पंच फलों में अनार की गिनती की जाती है. मान्यता है कि अनार के वृक्ष से जहां सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता हैं. वहीं इस वृक्ष के कई औषधीय गुण भी हैं.
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