Ashadha Month 5 traditions: हिंदू पंचांग के अनुसार चौथा महीना आषाढ़ का होता है. यह समय किसानों के लिए बहुत अधिक उपयोगी होता है, क्योंकि आषाढ़ महीने की बारिश यह तय करती है कि हमारे खेतों में फसल कैसी होगी. अगर अच्छी मात्रा में बारिश हुई तो यह खेती के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होती है. आषाढ़ के महीने में वर्षा के देवता को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ भी किया जाता है. सूर्य देव की आराधना की जाती है, क्योंकि इन दोनों देवताओं के आशीर्वाद से ही हमारा जीवन सुखमय बनता है. अच्छी वर्षा अच्छी फसल के उत्पादन की गारंटी होती है. आषाढ़ महीने में ही बारिश शुरू हो जाती है, और किसानों का काम शुरू हो जाता है. आषाढ़ माह में सुख शांति और समृद्धि के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी कुछ आवश्यक कार्य बताए गए हैं.
आषाढ़ मास में अनिवार्य रूप से किए जाने वाले 5 कार्य
- संपूर्ण धरती को प्रकाश प्रदान करने वाले सूर्य भगवान को तांबे के लोटे में अक्षत और फूल लेकर अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इससे भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं, और प्राणी मात्र को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- आषाढ़ मास में अच्छी वर्षा और अच्छी फसल के लिए मंत्रों का जाप करना अनिवार्य है. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय, ऊं नमः शिवाय आदि मंत्रों का जाप करने से मन शुद्ध होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
- भीषण गर्मी से राहत प्रदान करने वाले आषाढ़ मास में लोगों के पास धन और अनाज की कमी हो जाती है. इसलिए आषाढ़ मास में धन, अनाज और छाते के दान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इससे लोगों को आत्मसंतोष और मोक्ष प्राप्त होता है.
- आषाढ़ मास में लोग तीर्थ यात्रा करना पसंद करते हैं. तीर्थ यात्रा करने की परंपरा अनादि काल से चलती चली आ रही है. इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं, और लोगों का कल्याण होता है.
- आषाढ़ मास में ही गुरु पूर्णिमा का प्रसिद्ध त्योहार पड़ता है. इसमें अपने गुरुजनों का आशीर्वाद लेने से लोगों के मन से भय और संशय समाप्त हो जाता है. जिससे उन्हें अपने कारोबार में सफलता प्राप्त होती है. धन, यश और वैभव का लाभ मिलता है.
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