भगवान राम हिंदुओं की आस्था के महान प्रतीक हैं. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है जिसके लिए कल भूमि पूजन किया जाएगा. आज हम आपको भगवान राम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बता रहे हैं.


1-हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध. श्रीराम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था.


2-श्रीराम को शास्त्रों में  भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है. हालांकि उन्होंने अयोध्या में राजा दशरथ के यहां एक आम इंसान के रूप में ही जन्म लिया था. अपने उच्च आदर्श, वचनबद्धता और कर्तव्यनिष्ठा के कारण वह मर्याद पुरषोत्तम कहलाए. इसलिए उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है.


3-प्रचलित विश्वास के मुताबिक राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री का नाम शांता थी. लेकिन माता कौशल्या ने उसे अपनी बहन वर्षिणी को गोद दे दिया था जिसकी कोई संतान न थी.


4-भगवान राम के जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा अपने दिए वचन और कर्तव्यों का पालन करना है. कहते हैं भगवान श्रीराम ने अपने वचन का पालन करते हुए अपने प्राण से प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड का आदेश दे दिया था.


5-कैकयी द्वारा राजा दशरथ से राम का 14 वर्ष का बनवास मांगने का कारण कम ही लोगों को ज्ञात है. दरअसल राजा दशरथ की रानी कैकेयी राजा अश्वपति की बेटी थी. राजा अश्वपति के राजपुरोहित श्रवण कुमार के पिता रत्नऋषि थे. कैकेयी को वेद-शास्त्रों की शिक्षा रत्नऋषि ने ही दी थी. उन्होंने कैकेयी को बताया था कि राजा दशरथ की कोई संतान राज गद्दी पर नहीं बैठ पाएगी. इसके साथ ही ज्योतिष गणना के आधार पर उन्होंने बताया था कि दशरथ की मृत्यु के बाद यदि चौदह वर्ष के दौरान कोई संतान गद्दी पर बैठ भी गया तो रघुवंश का नाश हो जाएगा.


6-माता सीता का हरण रावण द्वारा कर लिया गया था जिसके बाद राम और लक्ष्मण उन्हें खोज रहे थे. उन्हें जंगल में कुछ आभूषण मिले तो उनमें से कर्णफूल को लकर श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा था कि ये तो सीता के कर्णफूल हैं यह जंगल में कैसे आए. उनकी इस बात पर लक्ष्मण ने कहा कि यह कर्णफूल भाभी के हैं या नहीं मैं कैसे बता सकता हूं. मैंने तो कभी भाभी के मुख की ओर देखा ही नहीं. लक्ष्मण ने कहा कि मैंने तो सेवक और पुत्र भाव से सदा भाभी के चरणों को देखा है इसलिए मैं सिर्फ उनकी पायल को पहचानता हूं.


7-श्री राम की हनुमानजी के साथ पहली मुलाकाता का किस्सा बेहद दिलचस्प है. हनुमान जी ब्राह्मण का रूप धारण कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण के पास पहुंचे. अन्होंने राम और लक्ष्मण को देखा तो समझ गए थे कि ये दोनों वीर कोई आमजन नहीं, बल्कि साक्षात किसी देवता के रूप हैं इसके बाद हनुमान जी चरणों में गिरकर उन्हें दंडवत प्रणाम किया.


8-भगवान श्रीराम को माता सीता का वियोग सहना पड़ा था. लेकिन यह वियोग उन्हें एक श्राप के कारण सहना पड़ा था. यह देव ऋषि नारद मुनि ने दिया था.


9-उत्तर रामायण (उत्तरकांड) में ये वर्णन मिलता है कि भगवान राम ने माता सीता का परित्याग कर दिया था. रामायण के उत्तरकांड पर विवाद. कहते हैं कि उत्तरकांड बाद में जोड़ा गया.


10-अयोध्या आगमन के बाद राम ने कई वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और इसके बाद गुरु वशिष्ठ व ब्रह्मा ने उनको संसार से मुक्त हो जाने का आदेश दिया. इसके बाद उन्होंने जल समाधि ले ली थी.


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