सफलता कई पक्षों पर निर्भर करती है. योग्यता, व्यक्तित्व, अभिरुचि और सतत प्रयास इत्यादि से निश्चित ही उपलब्धि अर्जित होने में मदद मिलती है. उक्त में सर्वाधिक महत्वपूर्ण समयबद्ध प्रयास है यानी जब समय आए उसी समय पूरे मनोयोग से किया गया प्रयास सफलता की कुंजी है. इसे सरलता से समझने के लिए समाज में एक कहावत प्रचलित है कि 'का वर्षा जब कृष सुखाने' यानी खेती के सूख जाने पर वर्षा से कोई लाभ नहीं होता है.


आधुनिक तेजी से भागते वक्त में अवसर भी तेजी से उपलब्ध होते रहते हैं. ठीक से समझें तो जितने मौके आधुनिक युग में बन रहे हैं उतने पूर्वकाल में शायद ही देखे गए हों. अभिप्राय यह है कि स्मार्ट वर्किंग सिर्फ अवसर भुनाने के लिए हर वक्त की तैयारी है. दुनिया के सभी लोग लगभग बराबर श्रम करते हैं. दैहिक स्तर पर देखा जाए तो न के बराबर लोगों में अंतर होता है. इनमें कुछ लोग आगे निकल जाते हैं, कुछ पीछे छूट जाते हैं.


जो छूट गए हैं उनका सिर्फ इतना ही दोष है कि अवसर की रेलगाड़ी पर समय से चढ़ नहीं पाए हैं. उनकी गाड़ी छूट गई है. जिनकी गाड़ी छूटी है, उन्होंने भी रेल में चढ़ जाने वालों के लगभग बराबर मेहनत की है. स्टेशन आने में दोनों का श्रम समान है. लेकिन समय प्रबंधन ने एक को सफल बना दिया है, दूसरे को असफल.


हमेशा याद रखें, फोन की घंटी बंद होने से पहले उसे उठा लेना मौके पर दी गई प्रतिक्रिया है. जो कॉल उठाने को तैयार नहीं हो पाए. उन्हें अगले कॉल के लिए सतर्क हो जाना चाहिए. अति सरलता से समझें तो आलस्य सिर्फ समय पर न दिया गया प्रत्युत्तर मात्र है. सक्रिय व्यक्ति कभी समय नहीं चूकता है. समय का पाबंद होता है.