Mahima Shanidev ki : विश्वकर्मा (Vishwakarma) भवन पर चक्रवात का आक्रमण कराने वाले इंद्र को कर्मफलदाता शनि ने सूर्यलोक की न्यायसभा में सजा दी. इससे बौखलाए इंद्र ने बदला लेने के लिए शनिदेव को उनकी माता छाया से अलग करने के लिए एक कुचक्र रच दिया. उन्होंने देवगुरु बृहस्पति के माध्यम से धर्मराज की नियुक्त के लिए प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें सभी देवपुत्रों को शामिल होना था, ऐसे में मां के आदेश पर शनि ने भी इसमें भाग लेने का निर्णय लिया. देवराज ने शनि को कभी भी मां के पास नहीं लौटने देने के लिए पहेली व्यूह की रचना की, जिसमें प्रवेश करने वाला जब तक इसके सभी प्रश्नों का सही जवाब न दें, बाहर नहीं निकल सकता था.
मां के लिए जीती धर्मराज प्रतियोगिता छोड़कर लौटे शनि
धर्मराज प्रतियोगिता में भाग ले रहे शनिदेव को उनके वाहन कौए से मां छाया के बीमार होने की सूचना मिली तो वह पहेली व्यूज की सभी बाधाएं पार कर इंद्रलोक पहुंच गए, लेकिन यहां धर्मराज की नियुक्ति से पहले इंद्र ने दूर पर्वत पर लगी ध्वजा लाकर गुरु का आशीर्वाद लेने का नियम बना दिया. इससे पहले सभी चरणों में शनिदेव से प्रश्न करने के लिए खुद गुरु बृहस्पति, श्रीहरिविष्णु, ब्रह्माजी के अलावा खुद महादेव भी आए, लेकिन शनि अपनी दक्षता से सभी प्रश्नों का सर्वोत्तम जवाब देकर पहेली के अंतिम चरण तक पहुंच गए. इस दौरान कौए ने मां की हालत शनि को बताई तो वह धर्मराज प्रतियोगिता का यह अंतिम चरण छोड़कर मां की रक्षा के लिए सूर्यलोक लौट आए. इसके बाद मजबूरन इंद्र को प्रतियोगिता का विजेता यम को चुनना पड़ा.
महादेव ने किया ऐलान
शनिदेव के प्रतियोगिता छोड़ने के बाद यम को प्रतियोगिता का विजेता बनने का मौका मिला. इससे बेहद खुश सूर्यदेव की खुशी उस समय और बढ़ गई, जब प्रतियोगिता के विजेता की घोषणा करने खुद महादेव सूर्यलोक में पधारे. उन्होंने कहा कि यम को जल्द ही धर्मराज बनाया जाएगा.
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