Govardhan Puja 2020: आज है गोवर्धन पूजा, जानिए कैसे शुरू हुई यह परंपरा, ये है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्त्व
Govardhan Puja or Annakoot 2020: आज गोवर्धन पूजा का पर्व है. आइये जानें गोवर्धन पूजा की परंपरा की शुरुआत कब से हुई, साथ ही इसके पूजन की विधि और इसका शुभ मुहूर्त.
Govardhan Puja or Annakoot 2020: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है. इस साल आज यानी 15 नवंबर 2020 दिन रविवार को गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार है. इसमें महिलाएं गोबर से भगवान गोवर्धन को बनाती हैं. तथा इनकी पूजा करती हैं इसके साथ गायों की भी पूजा करती है.
इस दिन मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के प्रतीक रूप में गोवर्धन को 56 भोग से अनेकों प्रकार के भोजन से भोग लगाया जाता है और इसका प्रसाद वितरण किया जाता है.
Govardhan Puja 2020 Shubh Muhurat
- तिथि: 15 नवंबर 2020
- गोवर्द्धन पूजा मुहूर्त: 15 नवंबर दोपहर 03:19 बजे से शाम 05:27 बजे तक.
- अवधि: 02 घंटे 09 मिनट
गोवर्धन पूजा विधि: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद मुख्य गेट पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण करें. इसे पौधों, पेड़ की शाखाओं और फूलों से सजाएं और पर्वत पर रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित कर पूजन करें. इसके बाद घर की गायों को नहलाकर उनका श्रृंगार करें. फिर उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें. उनका भोग लगाएं. उसके बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें. जिन गायों की पूजा किया गया था उन्हीं गायों की मदद से शाम के समय गोवर्धन पर्वत का मर्दन करवाएं इस गोबर से सारे घर की लिपाई करे.
गोवर्धन की पूजा की ये है परंपरा: ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई. पारंपरिक मान्यताओं के मुताबिक़ एक बार वर्षा के देवता इंद्र भगवान को अभिमान हुआ और इसी अभिमान में सात दिन तक लगातार बारिश करने लगे. इससे गोकुल की जनता में तबाही आनी शुरू हो गई. तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके अहंकार को चूर-चूर करने और जनता की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को ही अंगुली पर उठा लिया.
गोकुल की सभी पशु-पक्षीएवं मानव जन उस पर्वत के नीचे आ गये. इससे गोकुल वासियों को कोई नुकसान हुआ. जब इसकी जानकारी इंद्र को हुई तो इंद्र ने भगवान कृष्ण से क्षमायाचना किया. कहा जाता है कि उसके बाद भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों से कहा कि अप सब लोग गोवर्धन की ही पूजा किया करें. उसी दिन के बाद से गोवर्धन की पूजा शुरू हो गई.