नई दिल्ली : होली का पर्व दो दिनों तक मनाया जाता है. होली के महोत्सव के पहले दिन आज देशभर में होलिका दहन किया जाएगा. होली का पर्व इसलिए खास माना जाता है क्योंकि यह पर्व बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन होलाष्टक समाप्त हो जाएंगे. इस से शुभकार्यों का भी आरंभ हो जाता है. आस्था के इस पर्व का सामाजिक महत्व भी है. आपसी भाईचारे और सोहार्द का भी प्रतीक है होली का पर्व.


क्या है होली का शुभ मुहूर्त


होलिका दहन का शुभ समय: 18:26:20 से 20:52:17 तक
होलिका दहन की समय अवधि: 2 घंटे 25 मिनट
भद्रा पुंछा: 09:50:36 से 10:51:24 तक
भद्रा मुखा: 10:51:24 से 12:32:44 तक


इस तरह से कीजिए होली पर पूजा


आज फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा है. आज आप व्रत भी रख सकते हैं. स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. होलिका दहन स्थल पर गोबर से होलिका और भक्त प्रहलाद की आकृति बनाई जाती है. इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा करें. भगवान को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाएं. शाम को होलिका जलाएं और उसकी तीन या सात बार परिक्रमा करें. होलिका दहन करने के बाद गेंहू की बाली और गन्ना समर्पित करें. अनाज का भी प्रयोग कर सकते हैं. जल चढ़ाएं. होलिका जलने के बाद इसकी भस्म का तिलक लगाएं.


यह है होली के पीछे की कहानी


राजा हिरण्यकश्यप को अपनी शक्ति पर बहुत ही घमंड था. वह भगवान को भी चुनौती देने लगा. अपनी प्रजा पर स्वयं की पूजा करने का दबाव बनाने लगा. लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त थे. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोका लेकिन प्रहलाद नहीं माने. इससे हिरण्यकश्यप बहुत नाराज हो गया और प्रहलाद को यातनाएं देने लगा. आठ दिनों तक लगातार हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद पर तरह तरह के जुल्म किए. जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया. होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था. लेकिन होलिका जैसे ही प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी वह जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद सुरक्षित आग से बाहर निकल आए. तभी से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.


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