Aaj Ka Suvichar: गीता उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं जो व्यक्ति संकटो से घबरा कर बैठ जाता है, उसके लिए सफलता कहां. श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो हर परिस्थिति में गंभीरता और धैर्य को धारण किए रहता है. 


शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति की सफलता और असफलता उसके अच्छे बुरे कर्मों पर निर्भर करती है. जो व्यक्ति गलत कृत्य करता है, दूसरों का अहित करने के लिए सदैव आतुर रहता है, दूसरों के धन पर गलत दृष्टि डालता है, मानवता के विरूद्ध कार्य करता है, ऐसे व्यक्ति को कभी सफलता प्राप्त नहीं होती है. वहीं जो दूसरों के सेवा करता है, सभी के लिए प्रेम का भाव रखता है, प्रकृति की सेवा करता है, सभी को आदर सम्मान प्रदान करता है. ऐसे लोगों को हर स्थान पर सराहना और सम्मान प्राप्त होता है. ऐसे लोगों के जीवन में यदि संकट आ जाए तो ऐसे लोग आसानी से इससे छुटकारा प्राप्त कर लेते हैं.


विद्वानों की मानें तो संकट हर किसी के जीवन में आते हैं. संकट के समय ही व्यक्ति की प्रतिभा और कुशलता की पहचान होती है. व्यक्ति को सही और गलत, अपने-पराए का अंतर संकट के समय ही ज्ञात होता है, इसलिए संकट को चुनौती तरह स्वीकार करना चाहिए. संकट से भी सीखने की कोशिश करनी चाहिए. जो व्यक्ति संकट से घबरा जाता है, हताश और निराश हो जाता है ऐसे लोग कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं. सफलता इनसे दूर हो जाती है. संकट के समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-


धन का संचय करें
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को धन का संचय करना चाहिए. धन की बचत को लेकर हर व्यक्ति को गंभीर रहना चाहिए. संकट के समय धन ही सच्चे मित्र की भूमिका निभाता है. इसलिए धन के महत्व को जानना चाहिए.


अहंकार से दूर रहें
अहंकार सबसे बड़ा शत्रु है. जब व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है तो अहंकार से बचना चाहिए. अहंकार से संबंध प्रभावित होते हैं बुरे वक्त में आपके शुभ चिंतक तभी साथ देते हैं, जब आप अहंकार से दूर रहते हैं. अहंकार करने वाले व्यक्ति को संकट के समय, अकेला रहना पड़ता है.


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