Aaj Ka Suvichar : मान सम्मान का व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. मान सम्मान प्राप्त होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है. उसकी प्रतिभा और कुशलता की सराहना होती है. इसीलिए हर व्यक्ति जीवन में मान सम्मान प्राप्त करना चाहता है.
लेकिन मान सम्मान प्राप्त करना इतना आसान नहीं है. मान सम्मान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को संघर्ष, परिश्रम के साथ साथ अच्छी आदतों को अपनाना पड़ता है. मान सम्मान प्राप्त करने के लिए त्याग और प्रेम की भावना भी अति आवश्यक है. जब तक जीवन में इन तत्वों का अभाव रहता है, मान सम्मान व्यक्ति से दूर ही रहता है.
चाणक्य नीति कहती है कि मान सम्मान प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम दूसरों को आदर और सम्मान करना चाहिए. कहने का अर्थ ये है कि मान सम्मान प्राप्त करने के लिए सबसे मान सम्मान देना पड़ता है, जब तक आप दूसरों का सम्मान नहीं करेंगे तब तक आपको भी मान सम्मान की प्राप्ति नहीं होगी.
गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि श्रेष्ठ गुणों को अपना कर व्यक्ति शत्रु को प्रशंसा करने पर विवश कर देता है, श्रेष्ठ गुणों को अपनाकर ही व्यक्ति लोगों के बीच प्रंशसा और सम्मान प्राप्त करता है. विद्वानों का कहना है कि बुरी आदतें, व्यक्ति के मान सम्मान में सबसे बड़ी बाधा बनती हैं, इन आदतों को लेकर सतर्क रहना चाहिए-
दूसरों की बुराई न करें
मान सम्मान प्राप्त करना है तो सबसे पहले हर प्रकार की बुराई से बचना चाहिए. दूसरों की बुराई भूलकर भी नहीं करनी चाहिए. जो बुराई को सुनने और करने में रूचि लेते हैं, वे निंदा रस में डूब जाते हैं. निंदारस में लिप्त होने से समस्त बुराईयां स्वयं में आ जाती हैं, इसलिए बुराई से दूर रहना चाहिए. न बुराई करें और न ही बुराई को सुनें.
लोभ न करें
व्यक्ति की तरक्की में सबसे बड़ा बाधा लोभ यानि लालच है. जब व्यक्ति लोेभ में फंस जाता है, तो उसका सुख और चैन गायब हो जाता है. व्यक्ति छोटी -छोटी खुशियों का भी आनंद नहीं उठा पाता है, ऐसे व्यक्ति अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए गलत कार्यों को भी कर जाते हैं, ऐसे लोगों को कभी मान सम्मान प्राप्त नहीं होता है.
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