सूर्य की महिमा को पुराणों में भी बताया गया है. जीवन में सूर्य के महत्व को देखते हुए लोग सुबह उठकर सूर्य को नमन करते हैं. सभी नवग्रहों में सूर्य को ग्रहों के राजा की उपाधि प्राप्त है. सूर्य के कारण ही ऋतुओं का परिवर्तन होता है. सात घोड़ों पर सवार होकर सूर्य बिना थके और रुके निरंतर दौड़ते रहते थे.
पूजा सामग्री
लाल चंदन, गुलाल, कंडेल का पुष्प, लाल वस्त्र और गुड़ से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. पूजा से पूर्व इन सभी वस्तुओं का एकत्र कर लें.
पूजन विधि
स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. जल में थोड़ा गंगाजल और लाल चंदन मिला लेना चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. इसके बाद सूर्य की वस्तुओं का अर्पण करें. जल चढ़ाते समय इस मंत्र ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए. शाम को सूर्यास्त से पूर्व गुड का हलवा से भोग लगाना चाहिए.
विशेष
सूर्य देव को चढ़ाते समय जल की धारा से ही सूर्य देव को देखना चाहिए.
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