Hanuman Ji: मंगलवार की सुबह उठकर करें ये काम, कार्यों में मिलेगी सफलता, बनी रहेगी हनुमान जी की कृपा
Hanuman Chalisa: मंगलवार का दिन हनुमान जी का प्रिय दिन है. इस दिन पूजा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
Hanuman Chalisa: आज मंगलवार का दिन है. पंचांग के अनुसार 11 जनवरी 2022, मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए बहुत ही शुभ है. इस दिन पौष मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. मंगलवार को प्रात: 10 बजकर 53 मिनट तक सिद्ध योग बना हुआ है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग को अत्यंत शुभ योग माना गया है. इस योग में किए गए कार्य सिद्ध होते हैं.
सुबह उठकर करें ये पहला काम
मंगलवार को सुबह उठते ही हनुमान जी का स्मरण करें. दिन की शुरुआत हनुमान चालीसा की इस चौपाई से करें-
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
भगवान राम और माता सीता की वंदना करें
हनुमान जी उन लोगों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं जो भगवान राम और माता सीता की पूजा करते हैं. मंगलवार के दिन पूजा आरंभ करने से पूर्व माता सीता की वंदना करें-
उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोअहं रामवल्लभाम्।।
इसके उपरांत भगवान श्रीराम की वंदना करें-
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
हनुमान चालीसा का पाठ
मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ उत्तम फल प्रदान करने वाला माना गया है. इसका पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यहां पढ़ें हनुमान चालीसा-
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
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