Hanuman Ji: ‘संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा’ हनुमान जी को संकट मोचक कहा जाता है, कहते हैं जो सच्चे मन से हनुमान जी की भक्ति करता है वह अपने भक्तों को हर संकट से दूर रखते हैं. पवनपुत्र हनुमान चीरंजीवी हैं.मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है. मंगलवार के दिन लोग हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. मान्यता है मंगलवार को हनुमानाष्टक का पाठ करने से हनुमानजी साधक को हर संकट से पार लगा देते हैं.


हनुमानष्टक पाठ


बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।


ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।


देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।


को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।


चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।


कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।


को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।


जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।


हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।


को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।


ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।


चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।


को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।


लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।


आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।


को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।


। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।


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