Makar Sankranti 2023, Tula daa Importance: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व होता है, जिसे ‘सौर पंचाग’ के अनुसार मनाया जाता है. सूर्य जब परिक्रमा करते हुए धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मकर संक्रांति होती है. इस साल मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी 2023 पड़ रही है. मकर संक्रांति पर स्नान, दान, पूजा-पाठ आदि का विशेष महत्व है. लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. साथ ही मकर संक्रांति पर अपने सामर्थ्यनुसार दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए. व्यक्ति अन्न, वस्त्र, धन, धातु आदि कई चीजों का दान अपने सामर्थ्नुसार करते हैं.
लेकिन सभी दानों में तुलादान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर तुलादान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और दान से हजार गुणा पुण्यफल मिलता है. इसलिए तुलादान को सभी प्रकार के कष्टों का समाधान भी कहा जाता है.
क्या होता है तुलादान
सनातन धर्म में तुलादान को पुण्यफल दिलाने वाला दान कहा गया है. इसमें व्यक्ति को अपने भार के बराबर अनाज का दान करना होता है. तुलादान यानी अपने भार के बराबर अनाज का दान किसी योग्य या जरूरमंद व्यक्ति को ही करना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि अघाये हुए को कभी दान नहीं करना चाहिए, इससे उसका पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है. तुलादान से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, व्यक्ति जीवनकाल में सुखों का भोग करता है और अंत समय में मोक्ष को प्राप्त होता है.
कैसे शुरू हुई तुलादान की परंपरा
भगवान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा जी ने तुलादान को तीर्थों का महत्व तय करने के लिए कराया था. साथ ही तुलादान से भगवान कृष्ण की एक कथा प्रचलित है. इसके अनुसार, एक बार सत्यभामा ने श्रीकृष्ण पर अपना एकाधिकार जमाने के लिए नारद मुनि को दान में दिया. जब नारद मुनि कृष्ण को ले जाने लगे तब सत्यभामा को अपनी भूल का आभास हुआ. लेकिन सत्यभामा कृष्ण का दान कर चुकी थी, ऐसे में कृष्ण को दोबार पाने के लिए सत्यभामा ने नारद मुनि से उपाय पूछा. तब नारद मुनि ने सत्यभामा को भगवान कृष्ण का तुलादान करने की बात कही. फिर तराजू में एक तरफ श्रीकृष्ण और दूसरी तरफ स्वर्ण-मुद्राएं, गहने, अन्न आदि रखे गएं. इसके बावजूद भी कृष्ण की ओर का पलड़ा नहीं हिला. तब रुक्मणी ने सत्यभामा को दान वाले पलड़े में एक तुलसी का पत्ता रखने को कहा. सत्यभामा ने जैसे ही तुलसी का पत्ता स्वर्ण-मुद्राओं, गहने और अन्न वाले पलड़े में रखा तो यह श्रीकृष्ण के पलड़े के बराबर हो गया. मान्यता है कि, उस समय श्रीकृष्ण ने तुलादान को महादान के बराबर बताया, जिससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
मकर संक्रांति पर तुलादान का महत्व
मकर संक्रांति ऐसा पर्व है, जिसमें दान की विशेष मान्यता और महत्व है. इस दिन स्नान के बाद सभी लोग दान जरूर करते हैं. तुलादान के नियम के अनुसार, किसी पर्व विशेष पर पवित्र नदी में स्नान के बाद तुलादान करना चाहिए. तुलादान हमेशा शुक्लपक्ष के रविवार के दिन करना चाहिए. ऐसे में इस बार मकर संक्रांति के दिन शुक्लपक्ष की रविवार होने से तुलादान का महत्व और भी बढ़ जाएगा. आप तुलादान के साथ नवग्रह से जुड़ी सामग्री या सतनाज (गेहूं, चावल, दाल, मक्का, ज्वार, बाजरा, सावुत चना) भी दान कर सकते हैं. इससे कुंडली में नवग्रह से जुड़े सभी दोष दूर हो जाएंगे.