Hanuman Ji: अंजनी पुत्र हनुमान महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में एक हैं. हनुमान जी को शिव का 11वां रुद्रावतार कहा जाता है. इसलिए भगवान अत्यंत बलवान और बुद्धिमान हैं. प्रभु श्रीराम को भी हनुमान अति प्रिय हैं. कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म भगवान राम की भक्ति और सेवा करने के लिए ही हुआ था.
आज भी सशरीर मौजूद हैं हनुमान जी
ज्योतिष गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 साल पहले त्रेतायुग के आखिरी समय में चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मंगलवार को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था. हनुमान जी को मारुति, अंजनी पुत्र, वायुपुत्र, बजरंगबली, महाबली, पिंगाक्ष आदि जैसे कई नामों से जाना जाता है. हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं जो आज भी सशरीर पृथ्वी पर मौजूद हैं. इसलिए कलिकाल में इनकी पूजा करना फलदायी माना जाता है.
कलिकाल हनुमान जी के 10 परम भक्त
हनुमान जी भगवान राम के प्रिय भक्त और सेवक हैं. इसलिए इन्हें रामभक्त भी कहा जाता है. लेकिन हनुमान जी के भी लाखों भक्त हैं. कहा जाता है कि जो कोई हनुमान जी की भक्ति करता है, उसे कभी भय नहीं सताता और संकट दूर रहते हैं. इतना ही नहीं हनुमान जी की भक्ति करने वाले को स्वयं भी भगवान के होने का आभास हो जाता है. कलिकाल या कलयुग में हनुमान जी के कई भक्त हैं. जानते हैं हनुमान जी के ऐसे परम भक्तों के बारे में जिन्हें हनुमान जी के दर्शन प्राप्त हुए हैं. वहीं इनमें से कुछ भक्तों को तो हनुमान जी का अवतार कहा जाता है.
- माधवाचार्यजी: माधवाचार्यजी का जन्म 1238 ई. में हुआ. ये प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के परम भक्त थे. कहा जाता है कि माधवाचार्यजी को इनके आश्रम में हनुमान जी ने साक्षात दर्शन दिए थे.
- श्री व्यास राय तीर्थ- श्री व्यास राय तीर्थ का जन्म 1447 में कर्नाटक के कावेरी नदी के तट पर बन्नूर में हुआ था. श्री व्यास राय तीर्थ हनुमान जी के परम भक्त थे. इन्होंने अपने जीवनकाल में 732 वीर हनुमान मंदिर की स्थापना की. साथ ही इन्होंने हनुमान जी पर प्रणव नादिराई, मुक्का प्राण पदिराई और सद्गुण चरित लिखा.
- तुलसीदासजी- तुलसीदासजी का जन्म 1554 ई में सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था. कहा जाता है कि सबसे पहले हनुमान जी ने तुलसीदासजी को एक प्रेत के रूप में दर्शन दिए थे. लेकिन तुलसीदास ने तुरंत हनुमानजी को पहचान लिया था.
- राघवेन्द्र स्वामी- 1595 में जन्मे राघवेन्द्र स्वामी माधव समुदाय के गुरु थे. ये रामभक्त और हनुमान जी के भक्त थे. कहा जाता है कि राघवेन्द्र स्वामी को भी हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए थे.
- समर्थ रामदास- समर्थ स्वामी रामदास का जन्म1608 में गोदा तट के पास रामनवमी के हुआ था. ये छत्रपति शिवाजी के गुरु और हनुमान जी के भक्त थे. महाराष्ट्र में इन्होंने राम और हनुमान भक्ति के लिए प्रचार किए.कहा जाता है कि समर्थ रामदास को भी हनुमानजी के दर्शन हुए थे.
- संत त्यागराज- 1767 में जन्मे संत त्यागराज भी श्रीराम और हनुमान जी के परम भक्त थे. इन्होंने पूरे छह करोड़ बार श्रीराम के थारका नाम का पाठ किया था. इन्हें भी अपने जीवनकाल में देवी सीता, श्रीराम और लक्ष्मण के साथ ही हनुमान जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था.
- श्री रामकृष्ण परमहंस- स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जन्म 1836 में हुए था. ये मां काली के साथ ही हनुमानजी के भी परम भक्त थे. कहा जाता है कि श्री रामकृष्ण परमहंस हनुमान जी की भक्ति में लीन रहते थे.
- स्वामी विवेकानंद- रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद की आध्यात्म के प्रति गहरी रुचि थी. ये हमेशा अपने शिष्यों को हनुमानजी की कथा-कहानियों से प्रेरित किया करते थे. अपने शिष्यों को उन्होंने हमेशा हनुमान जी के आदर्शों का पालन करने की बात कही.
- शिर्डी सांईं बाबा- कहा जाता है कि सांईं बाबा पर हनुमान जी की कृपा थी और वे प्रभु श्रीराम और हनुमान की भक्ति किया करते थे. अपने अंतिम समय में भी उन्होंने राम विजय प्रकरण सुनाया और देह त्याग दी. इसके कई प्रमाण भी मिलते हैं कि शिर्डी के सांईं बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे.
- नीम करोली बाबा- नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में जन्म 1900 के आसपास हुआ. इनका अलसी नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. नीम करोली बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे और उन्होंने देशभर में हनुमानजी के 108 मंदिर बनवाएं. कहा जाता कहा है कि बाबा को हनुमान जी साक्षात दर्शन देते थे. वहीं बाबा के भक्तों उन्हें हनुमान जी का ही अवतार मानते हैं.
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